Published On: Wed, Dec 11th, 2024

जम्मू-कश्मीर में फिर लागू होगा दरबार मूव: CM उमर बोले- जम्मू की अनोखी पहचान खत्म नहीं होने देंगे; 2021 में बंद हुई थी परंपरा


श्रीनगर10 मिनट पहले

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बुधवार को मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सिविल सोसाइटीज के प्रतिनिधियों के साथ तीन घंटे की बैठक की। - Dainik Bhaskar

बुधवार को मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सिविल सोसाइटीज के प्रतिनिधियों के साथ तीन घंटे की बैठक की।

जम्मू-कश्मीर की उमर अब्दुल्ला सरकार राज्य की 150 साल पुरानी दरबार मूव परंपरा को फिर से बहाल करने की तैयारी में है।

बुधवार को मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सिविल सोसाइटीज के प्रतिनिधियों के साथ तीन घंटे की बैठक की।

बैठक के बाद उन्होंने बताया कि दरबार मूव को फिर से शुरू करेंगे। जम्मू का अपना महत्व है और हम इसकी विशिष्टता को कम नहीं होने देंगे।

उन्होंने कहा कि मैं ये नहीं समझ पा रहा हूं कि विधानसभा चुनाव के प्रचार में पार्टियों इस मुद्दे को शामिल क्यों नहीं किया गया था। चुनाव के नतीजे आने के बाद ही इस बारे में चर्चाएं तेज हुई हैं। हमने अपने घोषणापत्र में इस मुद्दे को शामिल किया था।

2021 में LG मनोज सिन्हा ने खत्म कर दी थी परंपरा

जम्मू-कश्मीर में श्रीनगर और जम्मू के बीच राजधानी बदलते रहने की 152 साल पुरानी परंपरा 1872 में जम्मू-कश्मीर के डोगरा राजवंश के महाराजा रणबीर सिंह ने शुरू की थी। LG मनोज सिन्हा ने जून, 2021 में यह परंपरा खत्म कर दी थी।

इर परंपरा के तहत गर्मियों में राजधानी श्रीनगर और सर्दियों में जम्मू शिफ्ट कर दी जाती थी। सर्दी और गर्मी से बचने के लिए ऐसा किया जाता था। राजधानी ट्रांसफर करने से श्रीनगर और जम्मू दोनों की जगहों के व्यापार में 6-6 महीने बहुत तेजी रहती थी।

दो माह पहले जम्मू-कश्मीर मंत्रालय से जुड़े सूत्रों ने दैनिक भास्कर को बताया था कि अब्दुल्ला सरकार जल्द ही दरबार मूव परंपरा की बहाली पर फैसला ले सकती है।

डोगरा राजवंश के राजा रणबीर सिंह ने आधिकारिक तौर पर दरबार मूव परंपरा शुरू की थी।

डोगरा राजवंश के राजा रणबीर सिंह ने आधिकारिक तौर पर दरबार मूव परंपरा शुरू की थी।

फारूक अब्दुल्ला ने परंपरा बंद करने की कोशिश की, विरोध हुआ

साल 1987 में तत्कालीन मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कोशिश की थी कि ये परंपरा बंद कर दी जाए। उन्होंने पूरे साल सचिवालय श्रीनगर में रखने के आदेश भी जारी किए थे। लेकिन उनके इस फैसले का जमकर विरोध हुआ था। जम्मू में जमकर प्रदर्शन हुए थे। बाद में फारूक को अपना आदेश वापस लेना पड़ा था।

कोविड के दौरान भी दरबार मूव नहीं हुआ था

2020 में इतिहास में पहली बार जम्मू-कश्मीर में दरबार मूव नहीं हुआ था। उस दौरान कोरोना वायरस के चलते पैदा हुई स्थितियों के बाद सरकार ने यह निर्णय लिया था।

हालांकि 4 मई को जम्मू और कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में सालाना दरबार खुला जरूर था, लेकिन कर्मचारी जहां थे वही रहे। इस दौरान जम्मू और श्रीनगर दोनों जगहों पर सचिवालय के दफ्तर ने काम किया था।

प्रशासन ने तीन दर्जन से ज्यादा विभागों के कार्यालयों के रिकॉर्ड्स का डिजिटलीकरण पूरा होने के बाद जून 2021 में दरबार मूव के लिए कर्मचारियों के नाम अलॉट आवास के आवंटन रद्द कर दिए थे।

ससे कारोबारी काफी नाराज हुए थे। जब दरबार सर्दियों में जम्मू आता था, तो कश्मीर के हजारों कर्मचारी और उनके परिवार जम्मू आते थे। जम्मू के बाजारों में छह महीने तक चहल-पहल रहती थी। इससे बिक्री काफी बढ़ती थी।

उस दौरान प्रशासन का दावा किया था कि दरबार मूव बंद करने से सरकारी खजाने को सालाना 150-200 करोड़ रुपए से अधिक की बचत होगी।

हर साल नवंबर के पहले सप्ताह में सिविल सचिवालय की ओर जाने वाली जम्मू की सड़कों की मरम्मत की जाती थी। खराब ट्रैफिक सिग्नल सुधारे जाते थे। सैकड़ों कार्यालय परिसरों को सजाया जाता था।

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