जब याचिका खारिज करते हुए मुस्कुराए CJI चंद्रचूड़, कह दी ये बड़ी बात

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक जनहित याचिका में मांग की गई कि चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाए कि वह शरीर के अंगों का इस्तेमाल चुनाव चिह्न के तौर पर करने पर रोक लगाए. प्रधान न्यायधीश- सीजेआई डी. वाई. चंद्रचूड़ ने इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया कि ये किस तरह की याचिका है. सीजेआई ने मुस्कराते हुए कहा कि ये सिर्फ हाथ के निशान को रोकने की नीयत से दाखिल की गई है.
भारत के चुनाव आयोग -ईसीआई को मानव शरीर के अंगों से मिलते जुलते चुनाव चिह्नों को हटाने, फ्रीज करने और रद्द करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई. याचिका में चुनाव आयोग निर्देश देने की मांग की गई. याचिका में कहा गया है कि उसने भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए मानव शरीर के अंगों से मिलते जुलते या समान प्रतीकों के खिलाफ कई शिकायतें कीं, लेकिन चुनाव आयोग ने इस मामले में कोई कदम नहीं उठाया है.
प्रधान न्याधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सोमवार को इस मामले की सुनवाई की. सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि ये याचिका सिर्फ हाथ के निशान (कांग्रेस के चुनाव चिह्न) को रोकने की नीयत से दाखिल की गई है. उन्होंने याचिका को तुरंत खारिज कर दिया.
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि यह किस तरह की याचिका है? इस याचिका का उद्देश्य हाथ (कांग्रेस के चुनाव चिह्न) से छुटकारा पाना है.
कोर्ट में सीजेआई ने दिखाई दरियादिली
सोमवार को ही एक अन्य मामले की सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायधीश की दरियादिली का उदाहरण भी देखने को मिला. सीजेआई चंद्रचूड़ तीन जजों की पीठ की अध्यक्षता कर रहे थे, तभी उनकी कोर्ट में एक आदमी आया और उसने चीफ जस्टिस से अपनी एक याचिका के बारे में कुछ कहा. इस पर डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आपकी याचिका दाखिल करने में देरी हो रही है. इस पर उस व्यक्ति ने कहा कि मैं बहुत बीमार हूं और वकील की फीस नहीं दे सकता.
इस पर चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कोर्ट में ही वरिष्ठ वकील शोएब आलम से बात करते हुए कहा कि आप इनकी मदद कीजिए. और उस व्यक्ति से कहा कि ये बड़े वकील हैं और आपसे कोई फीस नहीं लेंगे.
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FIRST PUBLISHED : August 5, 2024, 22:43 IST