जबलपुर में थोरो-काठियावाड़ी घोड़ों की मौत पर बड़ा खुलासा: हैदराबाद HPSL में फिलीपिंस से चल रही थी ऑनलाइन बेटिंग; सबूत मिटाने सड़क के रास्ते भेजे – Jabalpur News

जबलपुर में पांच दिन में आठ घोड़ों की मौत को लेकर शहर के पशु प्रेमियों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। मामले को लेकर जल्द ही मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में जनहित याचिका भी दायर की जाएगी। पशु प्रेमियों का आरोप है कि हैदराबाद के हॉर्स पावर स्पोर्ट्स लिमिटेड (HPSL) पर “
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पशु प्रेमियों के अनुसार हैदराबाद में घोड़ों की रेस पर ऑनलाइन बेटिंग की जा रही थी। फिलीपींस में बैठे लोग घोड़ों पर लाखों-करोड़ों रुपए के दांव लगा रहे थे। पेटा ने छापा मारा तो आनन-फानन में घोड़ों को यहां-वहां छिपा दिया गया। इसी क्रम में लाखों रुपए कीमत के घोड़ों को जबलपुर के छोटे से गांव रैपुरा में लाकर छिपाया गया। इस दौरान पांच दिन के भीतर जब 8 घोड़ों की मौत हो गई।
बता दें कि बेशकीमती थोरो और काठियावाड़ी प्रजाति के घोड़ों की मौत के बाद आनन-फानन में भोपाल से तीन सदस्यीय टीम जबलपुर पहुंची और रैपुरा गांव जाकर सभी घोड़ों की रिपोर्ट तैयार की, जिसे कि राज्य सरकार को सौंपी जाएगी।

5 मई को सड़क के रास्ते लाए गए थे घोड़े थोरो और काठियावाड़ी, मारवाड़ी प्रजाति के 57 घोड़े सड़क के रास्ते 5 मई को जबलपुर लाए गए थे। सभी को जबलपुर के रैपुरा गांव में रखा गया। इनकी देखरेख के लिए हार्स मालिक ने कुछ डॉक्टर और सेवक भी रखे। 7 मई से 13 मई के बीच 8 घोड़ों की अचानक हुई मौत से जबलपुर में हड़कंप मच गया।
कलेक्टर के निर्देश पर जबलपुर वेटरनरी कॉलेज की टीम ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू की। घोड़ों की मौत ग्लैंडर नामक घातक बीमारी से होने की आशंका जताई गए। सभी घोड़ों के सैंपल जांच के लिए हरियाणा की हिसार लैब में भेजे गए हैं, जहां पर कि अभी तक 44 की रिपोर्ट निगेटिव आई है, जबकि कुछ का आना बाकी है।
संक्रमित बीमारी के बावजूद बिना मेडिकल पासपोर्ट कंटेनर्स में रखे घोड़ों में ग्लैंडर्स के लक्षण थे, फिर भी न पासपोर्ट बने, न विशेष एम्बुलेंस की गई। एक राज्य से दूसरे राज्य में घोड़े भेजने के लिए मेडिकल पासपोर्ट जरूरी होता है, पर सिर्फ 29 घोड़ों के पासपोर्ट बने होने की जानकारी मिली। बाकियों को कंटेनर्स में लाया गया।
जबलपुर में इन घोड़ों की देखभाल करने वाले कारोबारी सचिन तिवारी ने कहा- हेथा नेट इंडिया प्रा. लि. से ये घोड़े सिर्फ केयरटेकिंग और देखभाल के लिए लिए हैं। सचिन के पास न तो कोई खरीद-बिक्री का दस्तावेज हैं न ये घोड़े उनके नाम पर हैं।
घोड़ों की मौत होने लगी, फिर भी इलाका सील नहीं किया हॉर्स केयरटेकर सचिन तिवारी का कहना है कि ये सभी घोड़े सुरेश पलादुगू के हैं, जिन्हें देखरेख के लिए यहां पर भेजा गया है। यहां पर इन घोड़ों की ट्रेनिंग और ब्रीडिंग सेंटर खोलने की योजना है। 5 मई को जब डेयरी में लगातार घोड़ों की मौत होने लगी, तब सचिन ने प्रशासन और वेटनरी विभाग को सूचना दी। फिर इलाज हुआ, पर ग्लैंडर्स जैसी बीमारी के बावजूद प्रशासन ने इलाका सील नहीं किया।
कलेक्टर दीपक सक्सेना के अनुसार, मेनका गांधी जी ने जानकारी दी थी कि हैदराबाद से जबलपुर घोड़े लाए गए हैं। इस पर घोड़े ढूंढकर तत्काल इलाज शुरू कराया गया। जांच कर रहे हैं कि घोड़े जबलपुर कैसे आए और मालिक कौन है? 44 घोड़ों में ग्लैंडर्स के लक्षण नहीं मिले हैं।

हैदराबाद में हॉर्स पावर सुपर लीग चलाने वाले सुरेश पलादुगू ।
HPSL के सुरेश पलादुगू के हैं ये घोड़े पेटा इंडिया से जुड़ी पशुप्रेमी सिमरन ईशर ने आरोप लगाया कि ये घोड़े हैदराबाद में हॉर्स पावर सुपर लीग चलाने वाले सुरेश पलादुगू और उनके सहयोगियों के हैं। उन्होंने बताया कि हैदराबाद रेसकोर्स में घोड़ों की दौड़ के नाम पर फिलीपींस में ऑनलाइन सट्टा खिलवाया जा रहा था।
इसका खुलासा होने पर रेड से पहले सबूत मिटाने के लिए हैदराबाद से ये घोड़े अवैध रूप से जबलपुर भेज दिए गए। सिमरन ईशर का कहना है कि रैपुरा गांव में टीन की शेड के नीचे जो घोड़े रखे गए हैं, यह बहुत ही नाजुक और महंगे होते हैं।
इन्हें समय पर खाना-पीना, दवाइयां दी जाती हैं। इन्हें खुला रखा जाता है। लेकिन यहां पर ऐसी कोई सुविधा नहीं है। घोड़ों को गाय-बैल की तरह बांधकर रखा गया है, जो कि गलत है।

हाईकोर्ट में लगाई जा रही है जनहित याचिका एडवोकेट उमेश त्रिपाठी का कहना है कि हैदराबाद HPSL के डायरेक्टर सुरेश पलादुगू ने अवैध रेसिंग करवाई। काला घोड़ा-नीला घोड़ा रेसिंग करवाई। जिसे एप के माध्यम से दिखाया गया। जिसमें करोड़ों का सट्टा लगा हुआ था।
फिलीपिंस सरकार को जब पता चला तो भारत सरकार को जानकारी दी गई। बाद में तेलंगाना सरकार ने उस रेस को बंद करवा दिया। एडवोकेट ने बताया कि इस रेस में दौड़ रहे हर घोड़े का एक पास कोड होता है। जिसमें घोड़े के मालिक का नाम, पता होता है।
अगर यह जानकारी लग जाती कि ये रेस सुरेश पलादुगू ने करवाई है, तो वह गिरफ्तार हो जाता। उसी से बचने के लिए इन्होंने 154 घोड़े अलग-अलग स्थानों पर भेज दिए। कुछ घोड़ों को हैदराबाद में मारने का प्रयास किया गया। उन्हें खाना नहीं दिया गया।

मैं केयरटेकर हूं-कंपनियों को देने थे घोड़े हैदराबाद से जबलपुर लाए गए 56 घोड़ों के केयरटेकर सचिन तिवारी से जब दैनिक भास्कर ने बड़ी संख्या में घोड़े लाने की वजह पूछी तो उनका कहना था कि वह जबलपुर में हॉर्स ट्रेनिंग सेंटर के साथ-साथ ब्रीडिंग सेंटर खोलना चाहते थे।
इसके साथ ही घोड़े खरीदने वाली कुछ कंपनियों को देने के लिए भी घोड़े लाए गए थे। हैदराबाद में इन घोड़ों की केयर ठीक ढंग से नहीं हो पा रही थी। जिस वजह से जबलपुर लाया गया है।
