Published On: Wed, Aug 28th, 2024

जनता परेशान, मंत्री बयानबाजी में बिजी; LG ने किस बात पर सौरभ भारद्वाज को सुनाई खरी-खोटी


उपराज्यपाल सचिवालय ने बयान जारी कर सौरभ भारद्वाज की कड़ी आलोचना की है। बयान में कहा गया है कि मंत्री, जो अपने विभागों की देखरेख में पूरी तरह से असफल रहे हैं, अब हर दिन एलजी पर आधारहीन आरोप लगाकर मंत्री पद बचाने की कोशिश कर रहे हैं। एलजी सचिवालय के अनुसार, पिछले एक दशक में दिल्ली के हालात लगातार बिगड़े हैं। दिल्ली अपने निवासियों के लिए नरक बनती जा रही है। नालों की सफाई नहीं होने से बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई है। नाले गंदगी से भरे हैं। बारिश के बाद से सड़कों पर कूड़ा भरा हुआ है। लोगों को दूषित पानी मिल रहा है। मलेरिया और डेंगू के मामले बढ़ रहे हैं। लेकिन मंत्री, दिल्ली के लोगों की समस्याओं को हल करने के बजाय, मीडिया में अनर्गल बयानबाजी करने में लगे हुए हैं।

खाली पदों पर भर्तियां रोक रहे एलजी

दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने मंगलवार को आरोप लगाया कि सरकारी अस्पतालों में रिक्त पड़े पदों पर एलजी द्वारा जानबूझकर भर्तियां नहीं की जा रही हैं। जब हम भर्तियों का मामला उठाते हैं तो राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (एनसीसीएसए) की बैठक का बहाना बना दिया जाता है। वहीं, पीडब्ल्यूडी विभागों में बगैर बैठक के ही ग्रुप ए के सात अधिकारियों की तैनाती कर दी जाती है। भारद्वाज ने कहा कि बीते दिनों रोहिणी के आशा किरण होम में 14 लोगों की मौत हुई। जांच में पता चला कि वहां डॉक्टरों, विशेषज्ञ और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी की वजह से ऐसा हुआ। इसके बाद भी अस्पतालों में इनकी भर्ती नहीं हो पा रही है।

कई बार शिकायत कर चुके मंत्री ने कहा कि एक अस्पताल को संभालने के लिए एक निदेशक या एक चिकित्सा अधीक्षक होना चाहिए, लेकिन हालत यह है कि एक व्यक्ति को कई-कई अस्पतालों की जिम्मेदारी दी हुई है। जब से मैंने स्वास्थ्य मंत्री का पदभार संभाला है, तब से कई बार एलजी अवगत करा चुका हूं कि दिल्ली के अस्पतालों में लगभग 30 फीसदी डॉक्टरों और विशेषज्ञों के पद खाली हैं। एलजी कार्यालय से जवाब दिया जाता है कि एनसीसीएसए की बैठक नहीं हो पाई, इसलिए हम अस्पतालों में डॉक्टर और अन्य पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती नहीं कर पाए हैं।

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा, ‘दूसरे विभागों में एनसीसीएसए की बैठक के बगैर ही नियुक्तियां हो रही हैं, जबकि अस्पतालों में भर्ती नहीं करने के लिए मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति के चलते बैठक नहीं होने का हवाला दे दिया जाता है।’

हाईकोर्ट पहुंचा मामला

न्यायमित्र ने एक याचिका उच्च न्यायालय में दायर करके कहा है कि उपराज्यपाल व राज्य सरकार के विवाद के चलते डॉक्टर, विशेषज्ञों व अन्य कर्मियों के 38 हजार पद खाली हैं। इन्हें भरने के लिए प्रयास नहीं किया जा रहा है। याचिका में न्यायालय से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की गई है।

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