जनता नाराज है, मेयर ने हमारे मुद्दों पर मूंदी आंखे; MCD बैठक में आप के 3 पार्षदों का आरोप

दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के सदन की बैठक में बुधवार को जमकर हंगामा हुआ। विपक्ष के अलावा सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) को अपने ही तीन पार्षदों का विरोध देखना पड़ा। पार्टी के पार्षदो ने कहा, ‘दिल्ली मेयर उन सभी मुद्दों पर आंखें मूंद रहीं हैं, जिन्हें वे उठा रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप जनता में नाराजगी है।’ मेयर के खिलाफ सदन में प्रदर्शन करने वाले तीन पार्षदों के नाम हैं- दिलशाद कालोनी की बहन प्रीति, मंगलापुरी के नरेंद्र कुमापर गिरसा और मोती नगर की अलका ढींगरा।
बहन प्रीति एमसीडी सदन के वेल के पास बैठकर एक तख्ती हाथ में पकड़े हुए थी, जिसपर लिखा था, ‘मेयर इंसाफ करो, मैं चुप नहीं रहूंगी, मेरी आवाज सुनो।’ उन्होंने कहा, ‘मैं पिछले 20 साल से निगम से जुड़ी हुई हूं और मैंने इस तरह का शासन कभी नहीं देखा।’ आप पार्षद ने वर्तमान शासन व्यवस्था को लेकर अपनी निराशा व्यक्त की। आप के टिकट पर चुनाव लड़ने से पहले प्रीति तीन बार निर्दलीय पार्षद रह चुकी हैं। उन्होंने कहा, ‘पहले हम सदन में जनहित के मुद्दे उठाते थे। अब तो शादी जैसा माहौल हो गया है। पार्षद इकट्ठा होते हैं, गाते हैं, ताली बजाते हैं, खाते हैं, नारे लगाते हैं और फिर चले जाते हैं, लेकिन कोई काम नहीं होता।’
सदन में चर्चा नहीं होना मेयर की गलती
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मंगलापुरी से आप पार्षद नरेंद्र कुमार गिरसा जिन्होंने पहले त्रिलोकपुरी से विजय कुमार के साथ डिप्टी मेयर पद के लिए नामांकन दाखिल किया था, ने कमिश्नर को लिखे पत्र दिखाए, जिसमें गाद निकालने और जलभराव पर कार्रवाई करने की मांग की गई थी। उन्होंने मेयर शैली ओबेरॉय पर निशाना साधा और कहा, ‘मॉनसून से पहले सदन में इन मुद्दों पर चर्चा सुनिश्चित करना आप की जिम्मेदारी है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यह मेयर की गलती है। विपक्ष भी उन्हें जवाबदेह ठहराने में विफल रहा है। डेंगू के मामलों की संख्या 400 से अधिक हो गई है, फिर भी कोई चर्चा नहीं हुई। फॉगिंग शुरू नहीं हुई। अगर वे इस तरीके से एमसीडी पर शासन करना चाहते हैं, तो यह बिल्कुल भी शासन करने जैसा नहीं है।’
जनता हमसे नाराज
वहीं आप की तीसरी पार्षद अलका ढींगरा ने कहा कि मेयर समेत अधिकारी उन मुद्दों पर आंखें मूंदे हुए हैं, जिन्हें वे उठा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘इस वजह से हमारे वार्ड के लोग हमसे बेहद नाराज हैं। कई बार इन मुद्दों को उठाने के बावजूद मेयर ने इन पर कोई ध्यान नहीं दिया। फंड की कमी के कारण हम अपने दम पर कुछ नहीं कर सकते।’ आप सूत्रों ने बताया कि पार्टी ने कमिश्नर से 75 लाख रुपये का फंड आवंटित करने का अनुरोध किया था, लेकिन केवल 15 लाख रुपये ही स्वीकृत किए गए।