छत्रपति शिवाजी का बाघ नख लंदन से भारत लाया गया: सातारा के म्यूजियम में 7 महीने रखा जाएगा; 3 साल बाद लौटाना होगा

मुंबई22 मिनट पहले
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सन् 1818 में जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने अंग्रेज अधिकारी जेम्स ग्रांट डक को सातारा कोर्ट में रेजिडेंट राजनीतिक एजेंट बनाकर भेजा तो उन्हें यह बाघ नख उपहार में दिया गया था।
ब्रिटेन के विक्टोरिया और अल्बर्ट (V&A) म्यूजियम से बुधवार (17 जुलाई) को छत्रपति शिवाजी का बाघ नख हथियार मुंबई लाया गया। महाराष्ट्र के संस्कृति मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा कि बाघ नख को 19 जुलाई से सातारा के छत्रपति शिवाजी म्यूजियम में 7 महीने तक प्रदर्शनी में रखा जाएगा।
मुनगंटीवार ने पिछले हफ्ते विधानसभा में कहा था कि बाघ नख का प्रयोग छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा किया जाता था। उनकी टिप्पणी एक इतिहासकार के दावे पर थी, जिसमें कहा गया है कि छत्रपति शिवाजी ने सन् 1659 में बीजापुर के सेनापति अफजल खान को बाघ नख से मारा था। ये पहले सही सतारा में था।
बाघ नख के बारे में यह मशहूर है कि यह छत्रपति शिवाजी महाराज का था। 1659 की लड़ाई के दौरान शिवाजी महाराज धातु के पंजे या बाघ नख को अपने हाथ में छुपाए हुए थे। इसी से उन्होंने अफजल खान की आंतें बाहर निकाल दी थीं।
उन्होंने इस बात की खारिज किया कि नख को लंदन से महाराष्ट्र लाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए गए हैं। उन्होंने कहा कि नख के कॉन्ट्रैक्ट और इसे भारत लाने में 14 लाख 8 हजार रुपए का खर्चा आया है।

शिवाजी बीजापुर के जनरल अफजल खान के सीने को बाघ नख से चीरते हुए। यह पेंटिंग 20वीं सदी की शुरुआत में सांवलाराम हल्दनकर ने बनाई है। Source : Wikimedia Commons
बाघ नख को महाराष्ट्र लाया जाना एक प्रेरणादायक क्षण
राज्य के आबकारी मंत्री शंभुराज देसाई 16 जुलाई को कहा था कि बाघ नख को महाराष्ट्र लाया जाना एक प्रेरणादायक क्षण है। नख का सतारा में भव्य स्वागत किया जाएगा। इसे कड़ी सुरक्षा के बीच लाया गया है और बुलेटप्रूफ कवर रखा गया है। देसाई सतारा के संरक्षक मंत्री भी हैं। उन्होंने छत्रपति शिवाजी म्यूजियम का दौरा भी किया है।
देसाई ने कहा कि पहले लंदन के म्यूजियम ने पहले एक साल के लिए नख भारत भेजने पर सहमति जताई थी, लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने नख को 3 साल के लिए राज्य में प्रदर्शन के लिए सौंपने के लिए राजी किया। उन्होंने कहा कि काफी प्रयासों के बाद CM एकनाथ शिंदे की सरकार के सफल प्रयासों के चलते बाघ नख को महाराष्ट्र लाया गया।

बाघ नख के बारे में यह मशहूर है कि यह छत्रपति शिवाजी महाराज का था।
V&A म्यूजियम में बाघ नख से जुड़ी ये बातें लिखी हैं…
- म्यूजियम के बोर्ड में लिखा है- शिवाजी का ‘बाघ नख’ जिसके साथ उन्होंने मुगल सेना के जनरल को मार डाला। इसे ईडन के जेम्स ग्रांट-डफ को तब दिया गया था, जब वह मराठों के पेशवा के प्रधानमंत्री के तहत सातारा में रहते थे।
- एक और डिस्क्रिप्शन में यह भी लिखा गया है कि मराठों के अंतिम पेशवा (प्रधानमंत्री) बाजी राव द्वितीय ने तीसरे अंग्रेज-मराठा युद्ध में हार के बाद जून 1818 में अंग्रेजों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। उन्हें कानपुर के पास बिठूर में भेज दिया गया।
- संभव है कि उन्होंने यह हथियार ग्रांट डफ को सौंप दिया हो। यह सत्यापित करना संभव नहीं है कि ये बाघ के पंजे वही हैं जिनका इस्तेमाल शिवाजी ने लगभग 160 साल पहले किया था।

पहले 10 नवंबर को बाघ नख भारत लाने की तैयारी थी
महाराष्ट्र के सांस्कृतिक मामलों के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने पिछले साल कहा था कि हम हिंदू कैलेंडर के आधार पर उस ऐतिहासिक घटना की सालगिरह के साथ इसे वापस लाने की संभावना तलाश रहे हैं, जब शिवाजी ने अफजल खान को मारा था।
उन्होंने कहा था कि अफजल खान की हत्या की सालगिरह ग्रेगोरियन कैलेंडर में 10 नवंबर को पड़ती है। इसलिए हम सावधानी पूर्वक हिंदू तिथि कैलेंडर के आधार पर तारीखों का समन्वय कर रहे हैं।
बाघ नख पर शिवसेना और BJP आमने-सामने थी
- संजय राउत ने कहा था- शिवाजी का असली बाघ नख शिवसेना: यह बाघ नख का अपमान है। शिवाजी की असली बाघ नख तो शिवसेना है। यह हथियार तीन साल के लिए भारत आ रहा है। आप उस हथियार को लाकर क्या करेंगे जिसका इस्तेमाल महाराष्ट्र के स्वाभिमान और अखंडता की रक्षा के लिए किया गया था? आपने तो राज्य को दिल्ली का गुलाम बना दिया है।
- आदित्य ठाकरे ने कहा था- बाघ नख यहीं रहेगा या उधार लिया है: महाराष्ट्र लाया जा रहा बाघ नख यहीं रहेगा या उधार लिया गया है। और क्या शिवाजी महाराज का ही था या केवल उस समय का है।
- देवेंद्र फडणवीस ने कहा था- अपमानजनक सवाल पूछना शिवसेना का इतिहास रहा: बाघ नख की प्रामाणिकता पर शिवसेना (UBT) के आदित्य ठाकरे के सवाल बचकाने और जवाब देने लायक नहीं। शिवसेना का इस तरह के अपमानजनक सवाल पूछने का इतिहास रहा है।