Published On: Mon, Aug 5th, 2024

चाय की केतली, 400 यूरो जुर्माना…पिस्‍टल क्‍व‍ीन मनु भाकर को कहां से मिली प्रेरणा? स्‍टूडेंट्स सीख सकते हैं सबक


पिस्‍टल क्‍व‍ीन मनु भाकर (Pistol Queen Manu Bhaker) ने देश को पेर‍िस ओलंप‍िक में पहला पदक दिलाकर भारत का नाम रोशन कर दिया. लेकिन यह उपलब्‍ध‍ि इतनी आसान नहीं थी. एक शीर्ष खिलाड़ी को वर्षों की मेहनत और पसीने बहाने के बाद ओलंपिक पदक जीतने का मौका मिलता है जो 22 साल की निशानेबाज मनु भाकर के लिए भी अलग नहीं था. टोक्‍यो ओलंपिक का कड़वा अनुभव उन्‍हें बार-बार परेशान करता था. एक बार तो लगा क‍ि शूटिंग छोड़ ही देते हैं. लेकिन फ‍िर चाय की केतली, गुरु के 400 यूरो जुर्माने की धमकी ने ऐसी ताकत दी क‍ि आज उन पर पूरा देश नाज कर रहा है.

पदक जीतने के बाद मनु भाकर ने कहा, टोक्‍यो ओलंप‍िक के बाद मैं बहुत धार्मिक हो गई हूं. मुझे लगता है क‍ि एक ऊर्जा है, जो हमारा मार्गदर्शन करती है. हमारी रक्षा करती है. हमें ईश्वर पर थोड़ा भरोसा रखना चाह‍िए. लेकिन इसके बाद उन्‍होंने जो बताया, वो बेहद दिलचस्‍प है. मनु भाकर ने बताया क‍ि टोक्‍यो ओलंपिक के बाद काफी तनाव में थी. लेकिन स्टैंड में जब कोच जसपाल राणा को खड़ा देखती थी, तो ह‍िम्‍मत मिलती थी. हमने साथ मिलकर जो भी कड़ी मेहनत की, उसका यह नतीजा निकला है. कोच ने मेरे ने स्‍पष्‍ट लक्ष्‍य रखा था. अगर मैं उनके स्‍कोर को बीट करने में फेल हो जाती थी, तो जुर्माना भरना पड़ता था. इन पैसों का इस्‍तेमाल दुनियाभर में जरूरतमंदों की मदद के ल‍िए क‍िया जाता था.

जब गायों को खिलाने के लिए हजारों रुपये का गुड़ खरीदा
मनु ने कहा, कोच का काम करने का तरीका बिल्‍कुल अलग है. वे लक्ष्‍य तय करते थे. अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो उस स्कोर में जो अंक कम थे तो आपको उतना ही दान करना होता. मान लीजिए हमने 582 स्कोर का लक्ष्य बनाया और मैंने 578 स्कोर बनाया तो वो चार अंक 40 यूरो के बराबर होंगे। कभी कभी देश के हिसाब से 400 यूरो भी हो जाते. राणा ने कहा, मुझे याद है कि एक बार देहरादून में उन्होंने गायों को खिलाने के लिए हजारों रुपये का गुड़ खरीदा था. इस पैसे का इस्तेमाल दुनिया भर के भिखारियों को खिलाने में भी किया जाता है. उन्होंने कहा, हाल में हम लक्जमबर्ग में थे और उन्होंने एक रेस्तरां में कलाकारों को 40 यूरो दिये.

तुरंत ही दिल्‍ली के ल‍िए पकड़ ली फ्लाइट
इंडियन एक्‍सप्रेस से बात करते हुए मनु भाकर ने चाय की केतली वाला क‍िस्‍सा सुनाया. कहा, केरल के चेरई में छुट्टियां बिता रही थी, तभी चाय की केतली से प्रेरणा मिली. हुआ कुछ यूं क‍ि होटल में अकेली थी. तभी चाय की केतली उठाई. वह पानी से भरी हुई थी. उस वक्‍त मैं रेस्‍टलेस हो रही थी. मुझे वापसी की जरूरत थी. भरी हुई केतली उठाना निशानेबाजों के अभ्यास का हिस्सा है. यहीं से फ‍िर लगा क‍ि क्‍यों न एक बार फ‍िर ये कोश‍िश करते हैं. जंग जीतकर ही लौटेंगे. और फ‍िर अगली फ्लाइट दिल्ली की ली और रेंज पर वापसी की. आज जो कुछ भी मिला, उसमें उसका भी बहुत योगदान है.

Tags: 2024 paris olympics, India news, Paris olympics 2024, Sports news

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