गोली लगने के बाद भी आजादी का जुनून नहीं उतरा: स्वतंत्रता सेनानी रामधारी सिंह बोले-अंग्रेज माता-पिता को प्रताड़ित करते थे, फिर भी हार नहीं मानी – Jamui News

जमुई के बरहट प्रखंड अंतर्गत गादी कटौना के रहने वाले स्वतंत्रता सेनानी रामधारी सिंह का देश की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। 100 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी रामधारी सिंह ने खास बातचीत में बताया कि 1947 में जब देश में आजादी की लहर दौड़ रही थी तो वह अ
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हालांकि इस दौरान उनकी मां और पिताजी भाई और गांव के लोगों ने भी इस रास्ते पर जाने से मना किया गया, लेकिन उनके सिर पर देश को आजाद करने का जुनून सवार था। महात्मा गांधी और पंडित जवाहरलाल नेहरू के रास्ते पर चलने का संकल्प लेते हुए देश की आजादी में कूद पड़े। रामधारी सिंह ने कटौना और मुंगेर के खड़गपुर इलाके में अंग्रेजों के थानों में आग लगा दी थी। इस दौरान रामधारी सिंह को अंग्रेजों ने गोली मारी थी।
हालांकि उनके पैर में गोली लगने के कारण वह बच गए। लगातार अंग्रेज रामधारी सिंह को पकड़ने की कोशिश करते रहे, लेकिन उनका नाम बदलकर अंग्रेजों को भारत से जाने को मजबूर कर दिया। स्वतंत्रता सेनानी रामधारी सिंह के बेटे चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि जिस वक्त वह देश की आजादी में कूद पड़े थे, उस वक्त अंग्रेज बार-बार उनके घरों में छापेमारी के लिए पहुंचे थे। उनके पिताजी और मां को प्रताड़ित करते थे।

साथ ही कई बार उन्हें आत्मसमर्पण करने को कहा गया, लेकिन अंग्रेजों की एक नहीं मानी। उन्होंने अलग-अलग इलाके में जाकर अंग्रेजों के थानों में आग लगा दी थी। साथ ही बताया कि जब देश 1947 में आजाद हुआ था तो उस वक्त वह कोलकाता में स्वतंत्रता दिवस मनाए थे। स्वतंत्रता सेनानी रामधारी सिंह ने बताया कि उसे वक्त का माहौल अलग था पर अब का वक्त काफी अलग है लोग स्वतंत्र हैं कहीं भी जा सकते हैं उसे वक्त घर से निकलना थी मुश्किल था, लेकिन उन्होंने कहा कि आज आजादी की इतने साल बीत गए हैं लेकिन देश में भ्रष्टाचार और अफसर शाही को देखकर उन्हें दुख होता है।