गंगोत्री ग्लेशियर का आकार 17% बढ़ा: अब गंगा बेसिन में सर्दियों में भी रहेगा पर्याप्त पानी, उत्तराखंड से लेकर बंगाल तक करोड़ों लोगों को फायदा मिलेगा
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देहरादून48 मिनट पहलेलेखक: मनमीत
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2400 किमी में फैले हिमालय में 9,575 ग्लेशियर हैं। इसमें से 968 उत्तराखंड में हैं। (फाइल फोटो)
ग्लोबल वार्मिंग का प्रकोप झेल रहे गंगोत्री ग्लेशियर का आकार एक साल में 18% बढ़ गया है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इससे इस साल सर्दियों में गंगा में पर्याप्त पानी रहेगा। इससे उत्तराखंड से लेकर बंगाल तक गंगा बेसिन में रहने वाले करोड़ों लोगों को पानी की कमी नहीं होगी। वाडिया इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार, मई 2023 में गंगोत्री ग्लेशियर में बर्फ का आवरण 83% था, जो जून में 69% रह गया था। पर उच्च हिमालय में अच्छी बर्फबारी हुई, जिससे मार्च 2024 तक ग्लेशियर पर बर्फ का आवरण 86.14% पहुंच गया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्लेशियर की सेहत सुधरेगी।
गंगोत्री ग्लेशियर की मॉनिटरिंग कर रहे हैं वैज्ञानिक
ग्लोबल वार्मिंग से गंगोत्री ग्लेशियर पर पड़ रहे असर का अध्ययन करने के लिए भोजवासा व चीड़बासा में अध्ययन केंद्र बने हैं, जहां मौसम, जल और भूकंप विज्ञान की वेधशाला स्थापित की गई है। इससे ग्लेशियर में हिमपात, वर्षा और तापमान का अध्ययन किया जा रहा है। उपग्रह चित्रों का प्रयोग भी हो रहा है।
ISRO का दावा है कि हिमालय में पहचानी गई ग्लेशियल झीलों का आकार बढ़ा है।
हिमालय में 9,575 ग्लेशियर, सिर्फ उत्तराखंड में 968 ग्लेशियर मौजूद हैं
2400 किमी में फैले हिमालय में 9,575 ग्लेशियर हैं। इसमें से 968 उत्तराखंड में हैं। इन ग्लेशियरों से भागीरथी, मंदाकिनी, पिंडर, यमुना, काली, कोसी जैसी बड़ी नदियां निकलती हैं। इन नदियों पर 40 करोड़ से ज्यादा लोगों का जीवन निर्भर है।
ग्लोबल वार्मिंग से गंगोत्री ग्लेशियर 87 साल में 1700 मीटर पिघल गया
वैज्ञानिक शोध में साबित हो चुका है कि 87 साल में गंगोत्री ग्लेशियर करीब 1700 मीटर पिघल चुका है। 1935 से लेकर 2022 तक गंगोत्री ग्लेशियर का मुहाना लगातार पीछे खिसका है। ग्लोबल वार्मिंग को इसका मुख्य कारण बताया जा रहा है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अप्रैल में सैटेलाइट इमेज जारी कर दावा किया है कि हिमालय के ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। ISRO का दावा है कि हिमालय में पहचानी गई ग्लेशियल झीलों का आकार बढ़ा है।
ISRO ने कहा था कि 1984 से 2023 तक हिमालय के भारत क्षेत्र में नदी घाटियों का कैचमेंट कवर करने वाली सैटेलाइट इमेजेज ने ग्लेशियल झीलों में आए परिवर्तन का संकेत दिया है। इसमें बताया गया है कि 2431 झीलों में से 676 ग्लेशियल झीलों का 1984 से 2016-17 में 10 हेक्टेयर से ज्यादा विस्तार हुआ है।
601 झीलें दो गुना से ज्यादा बढ़ीं
ISRO ने कहा कि 676 झीलों में से 601 झीलें दो गुना से ज्यादा बढ़ी हैं, जबकि 10 झीलें 1.5 से दो गुना और 65 झीलें 1.5 गुना हैं। 676 झीलों में से 130 भारत में स्थित हैं, जिनमें 65 इंडस, सात गंगा और 58 ब्रह्मपुत्र नदी घाटियों में स्थित हैं। 314 झीलें 4,000-5,000 मीटर की ऊंचाई पर हैं, जबकि 296 झीलें 5,000 मीटर से भी ऊपर हैं।
मोरेन डैम्ड झीलें ज्यादा बढ़ रहीं
जिन 676 झीलों का विस्तार हो रहा है, उनमें 307 मोरेन डैम्ड झील हैं। उर्वरक झीलें 265, अन्य 96 झीलें और आइस डैम्ड 8 ग्लेशियल झीलें हैं।
ISRO ने सैटेलाइट इमेज हिमाचल प्रदेश में 4,068 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गेपंग घाट ग्लेशियल झील में 1989 से 2022 के बीच 36.49 हेक्टेयर से 101.30 हेक्टेयर का 178 प्रतिशत विस्तार दिखाया है। यानी हर साल लगभग 1.96 हेक्टेयर की वृद्धि हुई है।
उत्तर-पश्चिमी सिक्किम में 17,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित दक्षिण ल्होनक ग्लेशियल झील पिछले साल अक्टूबर में फट गई थी। इससे आई बाढ़ के कारण 40 लोगों की मौत हुई थी और 76 लोग लापता हो गए थे।