क्या है कोसी-मेची नदी जोड़ योजना? बिहार को बाढ़ से बचाने के लिए केंद्र सरकार ने दी हरी झंडी
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बिहार को बाढ़ से बचाने के लिए केंद्र सरकार ने पहल की है। मंगलवार को पेश हुए केंद्रीय बजट में उत्तर बिहार को बाढ़ की समस्या से निजात पाने के लिए कोसी-मेची लिंक परियोजना को हरी झंडी देने का ऐलान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया। इसके तहत कोसी नदी के पानी को मेची नदी तक ले जाया जाएगा। इससे कोसी एवं सीमांचल क्षेत्र के लोगों को बाढ़ की समस्या से निजात मिलेगी। साथ ही किसानों सिंचाई का पानी भी मिल सकेगा।
कोसी-मेची नदी जोड़ योजना के लिए बिहार बीते एक दशक से प्रयास करता रहा। पटना में कुछ महीने पहले हुई पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में तत्कालीन जल संसाधन मंत्री संजय झा ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के सामने कोसी में हाई डैम बनाने और कोसी-मेची का मामला उठाया था। झा ने हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से भी मुलाकात कर इस बारे में चर्चा की थी। इसके बाद दोनों विदेश मंत्री एस जयशंकर के पास गए और उसी दिन शाम में हुई एक बैठक में उच्च स्तरीय कमिटी का गठन किया गया। कमिटी के सदस्यों ने बिहार आकर बाढ़ की स्थिति का अवलोकन किया और इसके समाधान पर चर्चा की।
कोसी-मेची लिंक परियोजना क्या है?
कोसी नदी को बिहार का शोक या बिहार का अभिशाप भी कहा जाता है। नेपाल में हिमालय से निकलने के बाद यह नदी बिहार में भीमनगर के रास्ते भारत में प्रवेश करती है। मॉनसून के समय नेपाल में भारी बारिश होने के बाद लाखों क्यूसेक पानी इस नदी से बहकर भारत आता है, जिससे उत्तर बिहार में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती है।
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उत्तर बिहार में बाढ़ पर नियंत्रण पाने के लिए कोसी नदी का पानी मेची नदी में छोड़े जाने की परियोजना पर काम किया जाएगा। मेची, महानंदा की सहायक नदी है और यह भी नेपाल से निकलकर किशनगंज से भारत में प्रवेश करती है। कोसी मेची लिंक परियोजना के तहत 76 किलोमीटर लंबा चैनल बनाया जाएगा। इसके जरिए कोसी नदी के अतिरिक्त पानी को महानंदा बेसिन तक ले जाया जाएगा और वहां मेची नदी में छोड़ दिया जाएगा। कोसी-मेची लिंक बनने से सुपौल, सहरसा, मधुबनी, खगड़िया और कटिहार जिले को बाढ़ से राहत मिलेगी। इसके साथ ही 2.14 लाख हेक्टेयर के क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा भी उपलब्ध होगी।