क्या है आतंकियों का हिट एंड रन फॉर्मूला… जैश कर रहा यह कायराना हरकत

जम्मू फिर से आतंकवाद का एपिसेंटर बनता जा रहा है. दशकों पहले जिस तरह से भारतीय सेना ने जम्मू में आतंकियों को मार भगाया था, अब वह नई साजिश के तहत हमलों को अंजाम देने में जुटे हैं. और ये नई साज़िश है हिट एंड रन… यानी कि आतंकी हमलों को अंजाम देना और घने जंगलों से भाग जाना… जम्मू के इलाके में जैश-ए-मोहम्मद के आंतकी एक्टिव हैं और ये ज्यादातर पाकिस्तानी हैं. जैश का पैटर्न शुरू से ही फिदायीन हमलों का रहा है, यानी कि जो आतंकी हमले को अंजाम देने आता है वो वापस जाने के मकसद से नहीं आता था. लेकिन अब ये फिदायीन नहीं, बल्कि मारकर भागने के मकसद से आ रहा है.
अगर हम पिछले ढाई महीने आंकड़ों पर नज़र डालें तो 15 जुलाई को डोडा में हुए हमले में भारतीय सेना के एक अफसर सहित कुल चार सैनिकों की जान चली गई. सेना के मुताबिक, सीमा पार से घुसपैठ कर आए आतंकवादियों के सफाए के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ एक ज्वाइंट ऑपरेशन को अंजाम दिया जा रहा है. सोमवार की रात करीब 8 बजकर 10 मिनट पर डोडा के देसा वन क्षेत्र में धारी गोटे उरारबागी में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में हो गई. इससे पहले 9 जुलाई को कठुआ में सेना के काफिले पर घात लगाकर हमला किया, जिसमें 22 गढ़वाल रेजिमेंट में 5 सैनिकों ने अपनी जान गंवा दी और जैसे ही सेना ने पलटवार किया तो आतंकी जंगलों में भाग खड़े हुए. इसके अलावा 4 मई को भारतीय वायुसेना के ट्रक पर हमला करने के बाद भाग खड़े हुए, जिसमें एक वायुसैनिक को अपनी जान गवानी पड़ी. कुल मिलाकर ढाई महीने में 13 सुरक्षाबल शहीद हो गए, जिसमें थल सेना के 9 सैनिक हैं.
जम्मू में फिर से शुरू हो सकती है ROP
जम्मू में हालात शांत थे तो ऑप्रेशन के तरीकों में भी बदलाव किया गया था. कश्मीर घाटी में जिस तरह सेना के काफिले पर हमलों का खतरा बना रहता है, जम्मू के इलाके में वैसा नहीं था. लेकिन अब ये खतरा अब जम्मू के इलाके में भी बढ़ रहा है. ऐसे में एक बार फिर भारतीय सेना अपने स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर यानी कि SOP में भी बदलाव कर सकती है. यानी जिस तरह से कश्मीर घाटी में किसी भी काफिले के मूवमेंट से पहले रोड ओपनिंग पार्टी यानी की ROP लगाई जाती है, जिसमें उस पूरे रूट को सेनेटाइज किया जाता है कि कहीं सड़क के आस-पास कोई आतंकी या फिर IED तो प्लांट नहीं किया गया. उस की तर्ज पर जम्मू में सेना के काफिलों पर हमले के ख़तरे के चलते फिर से ROP लगाई जा सकती है.
मुश्किल टेरेन का आसान फायदा उठा रहे हैं आतंकी
जम्मू-कश्मीर की भौगोलिक परिस्थितियों पर नज़र डाले तो तो कश्मीर घाटी में एक प्याले की तरह है, तो वहीं जम्मू का इलाका काफ़ी बडा और घने जंगल और ऊंची चोटियों वाली पहाड़ी से घिरा है, यानी कि बहुत टफ टेरेन है, जिसका फायदा आतंकी उठाने में जुटे हैं. पहाड़ी की हाइट पर बैठे आतंकी छिपकर सेना की मूवमेंट को आसानी से देख लेता है और फिर आतंकी घटना को अंजाम देता है. पिछले जितने भी आतंकी हमले जम्मू में हुए, उसमें ज़्यादातर आतंकी सुरक्षाबलों के हाथ ही नहीं आए.
अगर डोडा हमले की बात करें तो जब सेना और पुलिस ने साझा ऑपरेशन को अंजाम दिया, उस वक्त जंगल में छिपे आतंकियों के ताबड़तोड़ फ़ायरिंग शुरू कर दी और पहले ही बर्स्ट में ही सैनिक घायल हो गए और बाद में दम तोड़ दिया. सेना सूत्रों के मुताबिक, डोडा के जनरल एरिया में 3 से 4 आतंकियों के 3 से 4 ग्रुप होने की आशंका है.
खुले में सैनिक, छुपकर हमला करते आतंकी
दरअसल जब भी कोई खुफिया रिपोर्ट आती है तो उसके हिसाब से ऑपरेशन लॉन्च किया जाता है. ऐसी कोई सटीक जानकारी तो होती नहीं है कि आंतिकी उसी इमारत या उस पेड़ के पीछे छिपा बैठा है. वह जंगल पहाड़ पर कहीं भी हो सकता है बस इलाके के बारे में जानकारी होती है. आतंकी छुपकर हमला करते हैं, जबकि सैनिक पूरी तरह एक्सपोज होते हैं.
सेना को अपने किल ज़ोन या कहें हथियार की वो रेंज, जहां से सटीक निशाना लगाया जा सके, वहां तक आने का इंतेजार करते हैं और फिर सरप्राइज एलिमेंट के तौर पर फ़ायरिंग कर देते हैं. सूत्रों की मानें तो आतंकी उस पूरे इलाके के बारे में अच्छी तरह से वाकिफ हैं और हो सकता है कि पहाड़ी की किसी ऊंची जगह पर उन्होंने हथियार छिपाकर रखा हो. और फिर एक हमले को अंजाम देखकर दूसरे की फिराक़ में लग जाते हैं. बहरहाल भारतीय सेना के पास आतंकियों के हर चाल का तोड़ मौजूद है और देर सवेर उन सभी आतंकियों को उनके अंजाम तक पहुंचा दिया जाएगा.
Tags: Jammu kashmir, Terrorist attack
FIRST PUBLISHED : July 17, 2024, 10:53 IST