कौन है हृदया पुरोहित? महज 5 साल की उम्र में हो गई वायरल, देखें Video

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Jodhpur News: जाेधपुर की रहने वाली 5 वर्षीय हृदया पुरोहित देशभर में वायरल हो चुकी हैं. तिरंगा यात्रा के दौरान आत्मविश्वास से लबरेज होकर जिस तरह से शिव तांडव स्त्रोत का पाठ किया, लाेगों के दिलों में घर कर गई. हृ…और पढ़ें

हृदया पुरोहित जोधपुर
हाइलाइट्स
- 5 वर्षीय हृदया पुरोहित का वीडियो वायरल हुआ.
- हृदया ने आत्मविश्वास से शिव तांडव स्त्रोत का पाठ किया.
- हृदया को संस्कृत श्लोक उसकी मां ने सिखाए हैं.
जोधपुर. अगर सोच बड़ी और संस्कार मजबूत हो उम्र कोई मायने नहीं रखती. जोधपुर में तिरंगा यात्रा के दौरान कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला, जब 5 वर्ष की एक मासूम बच्ची ने पूरे देश को अपने आत्मविश्वास, भाषा और भावों से मंत्रमुग्ध कर दिया. जी हां, हम बात कर रहे हैं हृदया पुरोहित की, जो अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि और संस्कारों के चलते तिरंगा यात्रा के दौरान अपने जोशीले अंदाज से हर किसी के हृदय में जगह बना ली. 5 वर्षीय मासूम हृदया पुरोहित तिरंगा यात्रा के दिन से लेकर अब तक देश और दुनिया में कुछ इस तरह से छा गई है कि हर कोई उनके संस्कारों को सैल्यूट कर रहा है.
तिरंगा यात्रा के दिन एयर फोर्स ऑफिसर व्योमिका सिंह का किरदार निभाने वाली हृदया पुरोहित के परिवारजनों ने यह नहीं सोचा था कि मासूम हृदया एक दिन अपने माता-पिता का नाम कुछ इस तरह से रोशन करेगी. हृदया का वीडियो तेजी से इंटरनेट पर वायरल हो गया. पांच साल की हृदया ने जिस आत्मविश्वास से शिव तांडव स्त्रोत का पाठ किया उसे देख सब हतप्रभ थे. तिरंगा यात्रा में हृदया ने पहलगाम घटना का भी वर्णन किया.
सोशल मीडिया पर तेजी से वीडियो हो रहे वायरल
हृदया बताती हैं कि उसे संस्कृत के श्लोक उसकी मां ने सीखाए हैं. इस दौरान हृदया से पूछा कि क्या वह व्योमिका सिंह बनना चाहती हैं? इस पर उन्होंने बताया कि नहीं, वो बड़े होकर नरेंद्र मोदी की तरह बनना चाहती हैं. हृदया के पिता बताते हैं कि उसके आत्मविश्वास की सबसे बड़ी वजह है मोबाइल से दूरी. उसे खुद पता नहीं है कि वह सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है.
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मोबाइल और सोशल मीडिया से दूर रखा
मां डॉ. नूपुर पुरोहित ने बताया कि उन्होंने बच्चों को मोबाइल और सोशल मीडिया से दूर रखा, जिससे वह एकाग्र हो सकें. वह स्कूल के आयोजन में भी अव्वल रहती है. फिलहाल हृदया प्रेप में पढ़ रही है. उन्होंने बताया कि हृदया को संस्कृत के श्लोक टुकड़ों-टुकड़ों में याद करवाए थे. घर में काम करते हुए बच्चों को उलझाने के लिए श्लोक बोलती हूं, जिसे वह दोहराती है. इससे धीरे-धीरे श्लोक उसे कंठस्थ हो गए. पिता राहुल पुरोहित ने बताया कि हृदया को अपने देश के महापुरुषों के बारे में बताते हैं. उनके जीवन से जुड़ी किताबें देते हैं. फोन और टीवी से दूर रखते हैं. इसे सिर्फ इतना पता है कि मोबाइल का उपयोग बात करने के लिए होता है.