Published On: Thu, Jul 4th, 2024

केरल में दिमाग खाने वाले अमीबा से नाबालिग की मौत: तालाब में नहाते वक्त नाक के जरिए घुसा था; तीन महीने में मौत का तीसरा केस


कोझिकोड10 घंटे पहले

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14 साल का मृदुल तालाब में नहाने से ब्रेन ईटिंग अमीबा की चपेट में आया था। - Dainik Bhaskar

14 साल का मृदुल तालाब में नहाने से ब्रेन ईटिंग अमीबा की चपेट में आया था।

केरल के कोझिकोड में ब्रेन ईटिंग अमीबा से हुए इंफेक्शन (अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस) के चलते एक 14 साल के लड़के की मौत हो गई। रिपोर्ट्स के मुताबिक मृदुल नाम का यह लड़का एक छोटे तालाब में नहाने गया था, जिसके चलते उसे यह इंफेक्शन हुआ।

केरल हेल्थ डिपार्टमेंट ने गुरुवार को बताया कि मृदुल की बुधवार रात 11.20 बजे मौत हो गई। उसका प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था।

प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस’ यानी PAM इंफेक्शन गंदे पानी में पाए जाने वाले प्री-लिविंग अमीबा के कारण होता है। यह नाक की पतली त्वचा से शरीर में घुस जाता है।

मई से जुलाई तक मौत का तीसरा केस
मई 2024 के बाद से केरल में संक्रमण का यह तीसरा मामला है। पहला मामला 21 मई को मलप्पुरम की पांच साल की लड़की की मौत का था। दूसरा 25 जून को कन्नूर की 13 साल की लड़की की मौत का था। इससे पहले यह बीमारी पहले 2023 और 2017 में राज्य के तटीय अलपुझा जिले में रिपोर्ट की गई थी।

जुलाई 2023 में अलप्पुझा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में एक पनावली के एक नाबालिग की मौत इसी इंफेक्शन के कारण हुई थी। यह लड़का झरने के पानी में नहाने गया था।

केरल में सबसे पहला केस 2016 में आया था। इसके बाद 2019, 2020 और 2022 में एक-एक केस मिला था। इन सभी मरीजों की मौत हो गई थी। इस बीमारी के लक्षण बुखार, सिरदर्द, उल्टी और दौरे हैं।

दिमाग खाने वाला अमीबा नाम से मशहूर
अमेरिका के सेंटर ऑफ डिसीज कंट्रोल के मुताबिक पीएएम एक ब्रेन इंफेक्शन है जो अमीबा या नेगलेरिया फाउलेरी नामक एकल-कोशिका वाले जीव से होता है। यह अमीबा मिट्टी और गर्म ताजे पानी, जैसे झीलों, नदियों और गर्म झरनों में रहता है।

इसे आमतौर पर ‘दिमाग खाने वाला अमीबा’ कहा जाता है क्योंकि जब अमीबा युक्त पानी नाक में जाता है तो यह ब्रेन को इंफेक्टेड कर देता है। ‘प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस’ यानी PAM बीमारी में ब्रेन-ईटिंग अमीबा इंसान के दिमाग को संक्रमित कर मांस खा जाता है।

ये कोई आम अमीबा नहीं हैं, जिसके संक्रमण को एंटीबायोटिक दवाओं से खत्म किया जा सके। ये इतना घातक है कि समय रहते संक्रमण को नहीं रोका जाए तो 5 से 10 दिन में इंसान की मौत हो सकती है।

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नदी, तालाब, झरने या झील में नहाना खतरनाक भी हो सकता है क्योंकि इस पानी में एक खतरनाक जीव के होने का खतरा है। यह जीव न कोई बैक्टीरिया है, न वायरस। यह एक फ्री लिविंग अमीबा है। इसका नाम है नेगलेरिया फाउलेरी (Naegleri Fowleri)। आम बोलचाल की भाषा में इसे ‘ब्रेन ईटिंग अमीबा’ भी कहा जाता है। इससे बचाव कैसे करें, पढ़ें पूरी खबर…

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