केजरीवाल ने खुद को बताया बेकसूर, ED बोली- AAP को रिश्वत के सबूत; जमानत पर लंबी बहस

जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर बुधवार को लंबी बहस हुई। कथित शराब घोटाले में गिरफ्तार किए गए अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर राउज ऐवेन्यू कोर्ट में जज न्याय बिंदु की अवकाशकालीन बेंच के सामने सुनवाई हुई। केजरीवाल और ईडी की ओर से कई दलीलें पेश की गईं। बाद में जज ने मामले की सुनवाई गुरुवार तक के लिए टाल दी।
इस बीच राष्ट्रीय राजधानी की राउज एवेन्यू कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल और विनोद चौहान की न्यायिक हिरासत 3 जुलाई तक बढ़ा दी। दोनों को न्यायिक हिरासत की अवधि समाप्त होने के कारण तिहाड़ जेल से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश किया गया। केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था। अरविंद केजरीवाल को इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 21 दिनों की अंतरिम जमानत दी थी।
केजरीवाल की ओर से कैसे चली दलीलें?
अरविंद केजरीवाल की तरफ से वरिष्ठ वकील विक्रम चौधरी पेश हुए। उन्होंने अदालत को बताया कि गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली अरविंद केजरीवाल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में फैसला लंबित है। उन्होंने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को अंतरिम जमानत दी और 17 मई को कहा कि वह नियमित जमानत के लिए आवेदन दे सकते हैं।’
चौधरी ने कहा- 17 अगस्त 2022 को सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की। 22 अगस्त को ईडी ने ईसीआईआर दर्ज की। कई चार्जशीट दायर की गई। किसी में मुझे आरोपी नहीं बनाया गया था। आज भी मैं सीबीआई केस में आरोपी नहीं। पीएमएल केस में 2 नवंबर 2023 को मुझे पहली बार समन भेजा गया था। मैंने पूछा था कि मुझे किस रूप में बुला रहे हैं, गवाह या संदिग्ध, व्यक्तिगत क्षमात में या मुख्यमंत्री या आम आदमी पार्टी के संयोजक के रूप में?
चौधरी ने आगे कहा कि दूसरा समन डेढ़ महीने बाद भेजा गया। उन्होंने कहा, ‘मैं स्पेशल स्टेटस नहीं मांग रहा हूं लेकिन यह ना भूलें कि संवैधानिक पदाधिकारी को बुला रहे हैं। कम से कम कुर्सी का सम्मान होना चाहिए।’ चौधरी ने कहा कि उन्होंने जनवरी 2024 में यह भी कहा था कि सवालों की सूची हो तो भेज दें, वह जवाब देंगे।
केजरीवाल की ओर से यह भी कहा गया कि 16 मार्च को चुनावों की घोषणा हुई और उसी दिन एक और समन भेज दिया गया। उन्होंने कहा, ‘मैंने 19 मार्च को हाई कोर्ट में चुनौती दी। हाई कोर्ट ने नोटिस जारी किया और तीन सप्ताह में जवाब मांगा। 21 मार्च को आवेदन हाई कोर्ट के सामने आया। हाई कोर्ट ने अंतरिम जमानत से इनकार किया लेकिन नोटिस जारी किया। यह दोपहर में हुआ लेकिन शाम को करीब 5 बजे, सूरज अस्त होने के बाद ईडी मेरे घर में घुसी और गिरफ्तार कर लिया।’
केजरीवाल की ओर से कहा गया, ‘मैंने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी। हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया और सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है। मुझे सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दी थी। मैंने इसे बढ़ाने की मांग की थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने कारिज कर दिया। मैं यहां अतंरिम जमानत के लिए आया और उसे भी खारिज कर दिया गया।’
केजरीवाल ने कहा कि पूरा केस उन लोगों के बयानों पर आधारित है जो दागदार हैं और यह भी लगता है कि उन्हें गिरफ्तारी के बाद जमानत का वादा दिया गया था। उनसे माफी का वादा किया गया था। वे संत नहीं है। इन लोगों को लालच दिया गया। इन लोगों की विश्वसनीयता पर सवाल है।
केजरीवाल की तरफ से गिरफ्तारी की टाइमिंग पर भी सवाल उठाया गया। उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी के लिए चुनाव का इंतजार किया गया। केजरीवाल ने यह भी कहा कि उन पर जो आरोप लगाए गए हैं उनकी जांच सीबीआई को करनी चाहिए ईडी को नहीं। चौधरी ने कहा, ‘जो भी आरोप मुझ पर लगाए गए हैं वे सीबीआई केस के लगते हैं, पीएमएलए के नहीं। वे मेरे कंडक्ट पर सवाल उठा रहे हैं यदि मेरा आचरण खराब है तो यह सीबीआई तय करेगी, ईडी केवल मनी लॉन्ड्रिंग में भूमिका की जांच कर सकती है।’
चौधरी ने शरद रेड्डी की गवाही का जिक्र करते हुए कहा कि पीठ दर्द के आधार पर ही उसे जमानत दे दी गई। उन्होंने कहा कि रेड्डी ने गिरफ्तारी के बाद 11 बयान दिए थे, तब केजरीवाल नाम नहीं लिया था। अंतरिम जमानत के बाद आरोप लगाए। उन्होंने यह भी कहा कि रेड्डी ने सत्ताधारी पार्टी के लिए 50 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे। अब वह एनडीए का हिस्सा है। केजरीवाल ने कहा कि कोई मनी ट्रेल नहीं मिला है। इस बात का कोई सबूत नहीं है कि साउथ ग्रुप से पैसा आया।
केजरीवाल की तरफ से चौधरी ने कहा, ‘इसमें कोई कैमरे की रिकॉर्डिंग या लेनदेन वाला पैसा नहीं है। सबकुछ बयानों में है। मुझे हैरानी नहीं होगी कि यदि कुछ और बयान आ जाएं। यह जांच कभी खत्म नहीं होगी। यह हमेशा चलती रहेगी। यह उत्पीड़न का हथियार है।’ केजरीवाल ने अपने स्वास्थ्य का भी हवाला दिया।
ईडी ने क्या दीं दलीलें
ईडी की तरफ से एएसजी एसवी राजू ने कहा कि केजरीवाल को आरोपी के रूप में अभी तक नहीं बुलाया गया है, लेकिन आरोपपत्र दायर किया जा चुका है। उन्होंने कहा, जहां तक मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध का सवाल है तो अपराध का संज्ञान ले लिया गया है।
एसवी राजू ने कहा- सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला है जो कहता है कि अगर किसी अपराध का संज्ञान लिया जाता है तो इसका मतलब है कि प्रथम दृष्टया अपराध हुआ है। उन्होंने कहा, मनी लांड्रिंग का अपराध हुआ है। मुद्दा अब केवल अरविंद केजरीवाल की भूमिका का है। इस मामले में आम आदमी पार्टी को आरोपी बनाया गया है। ऐसे कई आरोपी हैं जिनकी जमानत खारिज हो चुकी है। इसका मतलब है कि अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध है।
ईडी की तरफ से पेश हुए वकील ने कहा कि हो सकता है कि वह (सीएम केजरीवाल) सीबीआई मामले में आरोपी न हों लेकिन वह अभी भी पीएमएलए मामले में आरोपी हो सकते हैं। एसवी राजू ने कहा, सीबीआई जांच से पता चला कि केजरीवाल ने 100 करोड़ रुपए की रिश्वत मांगी थी।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, हम यह जानना चाहते हैं कि अरविंद केजरीवाल को समन करते समय कोर्ट ने किस भाषा का इस्तेमाल किया है। इसपर एसवी राजू ने कहा, इसे ऑर्डर के लिए रखा गया है। कोर्ट ने कहा, मुझे समन की भाषा देखने के लिए आदेश की एक कॉपी चाहिए।
कोर्ट ने ईडी के वकील से आगे कहा- मैं चाहता हूं आप उनके (केजरीवाल) द्वारा उठाए गए मुद्दों पर मुझे संबोधित करें। उनका कहना है कि मूल मामले में उनका नाम नहीं था और गवाह ने जो उनके खिलाफ बयान दिए हैं वे विश्वसनीय नहीं हैं। कोर्ट ने आगे कहा कि उनका (केजरीवाल) यह भी कहना है कि वह एक संवैधानिक पद पर हैं और आदतन अपराधी नहीं हैं।
एएसजी ने कहा कि कोर्ट को इस बात से संतुष्ट होना है कि व्यक्ति अपराध का दोषी नहीं है। उन्होंने (केजरीवाल) यह नहीं बताया है। वह कह रहे हैं कि कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं रही है यह अप्रासंगिक है। उन्हें दिखाना चाहिए कि दोषी नहीं हैं। एसवी राजू ने कहा, ‘केजरीवाल कह रहे हैं कि बयान विश्वसनीय नहीं हैं। बयानों की विश्वसनीयता की जांच ट्रायल के दौरान ही हो सकती है। बेल के समय इस पर विचार नहीं हो सकता है। बेल का चरण मिनी ट्रायल नहीं हो सकता है।’ राजू ने टाइमिंग पर उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि यह जांच अधिकारी को तय करना होता है कि किसी व्यक्ति को कब और कहां गिरफ्तार किया जाए।
एसवी राजू ने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को चुनाव के लिए ही अंतरिम जमानत दी थी और यह शर्त लगाई थी कि वह सीएम ऑफिस या सचिवालय नहीं जा सकते हैं। यदि एसपी को लगा होता कि वह निर्दोष हैं तो यह शर्त क्यों लगाई जाती।
एएसजी ने कहा कि केजरीवाल ने 100 करोड़ रुपए की रिश्वत मांगी। एएसजी ने कहा, ‘विजय नायर को मीडिया इंचार्ज बनाया गया था और वह रिश्वत के लिए मीटिंग कर रहे थे। उसने कहा कि आप हमें रिश्वत दो हम नीति बदल देंगे। वह सरकारी बंगले में रह रहा था। उसका वहां कोई काम नहीं था। वह सिर्फ केजरीवाल से करीबी की वजह से वहां रह रहा था।’
एएसजी ने कहा कि आम आदमी पार्टी व्यक्तियों का समूह है और यदि इसने रिश्वत ली है तो प्रभारी जिम्मेदार है और अपराध के लिए सजायोग्य है। सेक्शन 70 के तहत ऐसा किया गया है। आम आदमी पार्टी ने रिश्वत ली और उसे केस में आरोपी बनाया गया है। एएसजी ने कहा, ‘केजरीवाल आम आदमी पार्टी के कामकाज के लिए जिम्मेदार हैं। वह पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक हैं। इसलिए वह पार्टी के इंचार्ज हैं। 100 करोड़ रुपए रिश्वत की मांग स्थापित हो चुकी है। हमने दिखाया है कि मनी हवाला के जरिए आया।’