केंद्र सरकार ने ब्रॉडकास्ट बिल 2024 वापस लिया: मंत्रालय बोला- नया ड्राफ्ट तैयार करेंगे; विपक्ष का आरोप था- चुनिंदा लोगों को जानकारी दी
नई दिल्ली4 मिनट पहले
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केंद्र सरकार ने नवंबर 2023 में ब्रॉडकास्टिंग रेगुलेशन बिल का ड्राफ्ट तैयार किया था।
देश के मिनिस्ट्री ऑफ इन्फॉर्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग (MIB) ने ब्रॉडकास्टिंग बिल 2024 का ड्राफ्ट वापस ले लिया है। मंत्रालय बिल का नया मसौदा तैयार करेगा। साथ ही सभी हितधारकों (स्टेकहोल्डर्स) से 24-25 जुलाई 2024 के बीच दी गईं ड्राफ्ट की हार्ड कॉपी वापस करने को कहा है।
सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा- हम ब्रॉडकास्टिंग सर्विस (रेगुलेशन) बिल के ड्राफ्ट पर काम कर रहे हैं। इस विधेयक के ड्राफ्ट को हितधारकों और आम जनता की टिप्पणियों के लिए 10 नवंबर 2023 को पब्लिक डोमेन में रखा गया था। हमें विभिन्न हितधारकों की ओर से अनेक सिफारिशें, टिप्पणियां और सुझाव प्राप्त हुए थे।
मिनिस्ट्री ने कहा कि अब सुझाव और टिप्पणियों के लिए 15 अक्टूबर 2024 तक अतिरिक्त समय दिया जा रहा है। और ज्यादा विचार-विमर्श के बाद बिल का एक नया ड्राफ्ट पब्लिश किया जाएगा। मंत्रालय विधेयक के ड्राफ्ट पर हितधारकों के साथ सिलसिलेवार विचार-विमर्श कर रहा है।
नवंबर 2023 में ब्रॉडकास्टिंग रेगुलेशन बिल का ड्राफ्ट तैयार किया था। इस पर पब्लिक कमेंट की डेडलाइन 10 नवंबर 2023 थी। बिल का दूसरा ड्राफ्ट जुलाई 2024 में तैयार किया गया।
ड्राफ्ट को लेकर विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाए थे। कहा था कि संसद में रखे जाने से पहले ही ड्राफ्ट को कुछ चुनिंदा हितधारकों के बीच चुपके से लीक किया गया। TMC सांसद जवाहर सरकार ने भी राज्यसभा में यह मामला उठाया था।
डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स और इंडिविजुअल कॉन्टेंट क्रिएटर्स की बिल पर आपत्ति
- 90 से ज्यादा डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन डिजी-पब न्यूज इंडिया फाउंडेशन और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कहा कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने चुनिंदा हितधारकों के साथ बंद कमरे में इस पर चर्चा की। डिजिटल मीडिया संगठनों और सिविल सोसाइटी एसोसिएशन के साथ चर्चा भी नहीं हुई। ड्राफ्ट कॉपी पाने के लिए मंत्रालय को लेटर भी लिखा था, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला।
- बिल पर डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स और इंडिविजुअल कॉन्टेंट क्रिएटर्स ने आपत्ति जताई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ड्राफ्ट में इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर्स और यूट्यूबर्स को उनके यूजरबेस के आधार पर ‘डिजिटल न्यूज ब्रॉडकास्टर्स’ में दर्शाया जा रहा था। इसका नतीजा ये होता कि इन्फ्लुएंसर्स और यूट्यूबर्स को अपने कंटेंट के लिए सरकार से रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होता।
- इंडिविजुअल कॉन्टेंट क्रिएटर्स और डिजिटल पब्लिशर्स का कहना था कि बिल के जरिए सरकार डिजिटल उन पर एक तरह से सेंसरशिप लगा रही है। बिल लागू होने पर सरकार की आलोचना नहीं की सकेगी।
- वहीं, टू-टियर सेल्फ रेगुलेशन सिस्टम पर भी हितधारकों का विरोध किया था। बिल के ड्राफ्ट में डेटा के लोकलाइजेशन और यूजर डेटा का एक्सेस सरकार के पास होने का एक प्रावधान जोड़ा गया था। इसे लेकर स्टेकहोल्डर्स का कहना था कि यह प्रावधान निजता का उल्लंघन करेगा। इसका दुरुपयोग की भी संभावना जताई थी।
नए ब्रॉडकास्टिंग बिल मकसद
केन्द्र सरकार इस बिल से पब्लिश होने वाले कंटेंट को रेगुलेट, कंट्रोल, मॉनिटर और सेंसर करना चाहती है। सभी ब्रॉडकास्टर्स को एक ही रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में रखना चाहती है। इससे होगा ये कि सरकार ब्रॉडकास्टिंग वर्किंग को स्ट्रीमलाइन कर सकेगी।
फेक न्यूज को फैलने से रोकना, कंटेंट कोट और एज वैरिफिकेशन मैकेनिज्म लाने की योजना है। सरकार का कहना है कि नए ब्रॉडकास्टिंग रेगुलेशन बिल के लागू हो जाने के बाद किसी भी OTT या डिजिटल प्लेटफॉर्म पर फैलाए जाने वाले हेट स्पीच, फेक न्यूज और अफवाहों के लिए प्लेटफॉर्म को अकाउंटेबल बनाया जा सकेगा।
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