Published On: Wed, Jul 24th, 2024

केंद्र की मेहरबानी से बिहार में बढ़ेगी विकास की रफ्तार; उत्तर को बाढ़ से राहत, दक्षिण में पर्यटन पर फोकस


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केंद्रीय बजट 2024 से पूर्वी राज्यों और खासकर बिहार के विकास को तेज गति मिलेगी। पूर्वोदय विकास योजना शुरू होने से पूर्वी राज्यों की समस्याओं के समाधान और तेज विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा। बिहार के अलग-अलग क्षेत्रों की आवश्यकता को केंद्र में रखकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई ऐसे प्रावधान किए हैं जो तरक्की की राह में नए आयाम जोड़ेंगे। बाढ़ का समाधान तलाशने की ओर बढ़े कदम उत्तर बिहार को सदियों पुरानी बाढ़ त्रासदी से मुक्ति दिलाने में मददगार साबित हो सकते हैं। बजट में सड़क, स्वास्थ्य, ऊर्जा, शिक्षा, पर्यटन, कृषि, सिंचाई के क्षेत्र में कई बड़े प्रावधान से बिहार की सूरत बदलेगी। इस अर्थ में बजट के प्रावधान विशेष राज्य का दर्जा नहीं देने के जख्म पर मरहम का काम करेंगे। बिहार सरकार ने भी विशेष दर्जा नहीं तो पैकेज की मांग रखी थी।

बजट के प्रावधानों को इस तरह देखा जा सकता है- उत्तर बिहार में बाढ़ का समाधान, दक्षिण बिहार में पर्यटन और उद्योग को बढ़ावा, उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम आवागमन को रफ्तार देने के लिए तीन एक्सप्रेस-वे के अलावा आवश्यकता के अनुसार एयरपोर्ट, मेडिकल कॉलेज और बिजली परियोजना की मंजूरी। बाढ़ के नुकसान का अध्ययन, नेपाल से बातचीत कर समाधान तलाशने के एलान और इस मद में 11500 करोड़ के प्रावधान वास्तव में उत्तर बिहार के कायाकल्प की दिशा में बड़ी पहल हैं। कोसी-मेची लिंक परियोजना की मंजूरी भी इस कड़ी में बड़ा फैसला है। उत्तर बिहार के 15 जिले और 76 फीसदी आबादी बाढ़ से सर्वाधिक प्रभावित रही है। हर साल करीब आठ से दस हजार करोड़ रुपये नुकसान की भरपाई पर राज्य सरकार को खर्च करने पड़ते हैं। 

इसी तरह तीन कॉरिडोर दक्षिण बिहार में पर्यटन और उद्योग को ऊंची छलांग लगाने का अवसर देंगे। गया में महाबोधि-विष्णुपद और राजगीर में सप्तऋषि कॉरीडोर से पर्यटन को नया आवरण मिलेगा। इस इलाके में पर्यटकों की आवाजाही बढ़ने से रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। नालंदा विश्वविद्यालय को और विकसित करने की भी घोषणा की गई है।

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कोलकाता- अमृतसर कॉरिडोर का मुख्यालय गया में होने से डोभी में बन रहे औद्योगिक पार्क को उद्योगों के क्षेत्र में दो अग्रणी राज्यों से कदमताल करने का मार्ग प्रशस्त करेगा। बिहार में दस नए एयरपोर्ट बनने से न केवल लोगों का आवागमन सुगम होगा, बल्कि इससे उद्योग-कारोबार को भी उड़ान भरने में मदद मिलेगी।

एयरपोर्ट नहीं होने से एक समय बड़ी संख्या में सिल्क कारोबारी भागलपुर से पश्चिम बंगाल चले गए। हवाई सेवा शुरू होने से भागलपुर के रेशम उद्योग को ही नहीं, अन्य जिलों के स्थानीय उत्पादों में मखाना, लीची, मक्का प्रसंस्करण उद्योग में निवेश करने वालों की आवाजाही शुरू होगी।

बिहार में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में अपार संभावनाएं छिपी हैं। आनेवाले समय में राज्य में बिजली की मांग भी बढ़ेगी। पीरपैंती में बिजली परियोजना की मंजूरी इस अर्थ में महत्वपूर्ण है। इन सबके अतिरिक्त पूर्वी राज्यों के लिए पूर्वोदय योजना शुरू करने की घोषणा से भी बिहार को सबसे ज्यादा उम्मीदें हैं। इसका सर्वाधिक लाभ इसी राज्य को मिलने के आसार हैं।

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