Published On: Mon, Jun 3rd, 2024

किस जज का अप्वाइंटमेंट रुकवाने के लिए चंद्रचूड़ को लगाना पड़ा वीटो? बाद में बना सांसद


सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) के पिता वाईवी चंद्रचूड़ (Y.V. Chandrachud) भी देश के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं. 16वें चीफ जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ के नाम सबसे ज्यादा समय तक CJI की कुर्सी पर रहने का रिकॉर्ड भी है. वह 22 फरवरी 1978 को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया नियुक्त हुए और 11 जुलाई 1985 तक, 7 साल और 4 महीने पद पर रहे. बॉम्बे हाईकोर्ट के एडवोकेट और लेखक अभिनव चंद्रचूड़ ने पेंगुइन से प्रकाशित अपनी किताब ”सुप्रीम व्हिस्परर्स” (Supreme Whispers) में वाईवी चंद्रचूड़ से जुड़े कई किस्से साझा किए हैं.

किस जज का अप्वाइंटमेंट रोक दिया?
अभिनव चंद्रचूड़ (Abhinav Chandrachud) लिखते हैं कि वाईवी चंद्रचूड़ ने CJI की कुर्सी पर रहते हुए कभी किसी जज के अप्वाइंटमेंट में अड़ंगा नहीं लगाया. अधिकतर नाम मंजूर किये. सिर्फ एक बार ऐसा मौका आया जब उन्होंने वीटो का इस्तेमाल किया. वह वीटो जस्टिस बहरूल इस्लाम के खिलाफ था. दरअसल, बहरूल इस्लाम का नाम जब सुप्रीम कोर्ट में अपॉइंटमेंट के लिए आया तब CJI चंद्रचूड़ को पता लगा कि उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप है और पुख्ता सबूत भी हैं. ऐसे में उन्होंने बहरूल का नाम अप्रूव नहीं किया. उल्टा वीटो लगा दिया.

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फिर कैसे हुई नियुक्ति?
अभिनव लिखते हैं कि बाद में सीजेआई वाईवी चंद्रचूड़ को बहरूल इस्लाम का नाम मंजूर करना पड़ा. क्योंकि उनपर काफी दबाव था. सबसे ज्यादा दबाव तत्कालीन कानून मंत्री पी. शिव शंकर का था. उन्होंने सीजेआई से कहा कि इस्लाम के अपॉइंटमेंट से किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होगी. उनकी नियुक्ति कर देनी चाहिए. आखिरकार चंद्रचूड़ को मानना पड़ा.

File:Justice Baharul Islam 4.jpg - Wikimedia Commons

जस्टिस बहरूल इस्लाम (बाएं से तीसरे)

बहरूल इस्लाम की नियुक्ति करने के बाद वाईवी चंद्रचूड़ को काफी पछतावा भी हुआ. बकौल अभिनव, ”चंद्रचूड़ ने इस्लाम की नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट के अप्वाइंटमेंट के इतिहास में सबसे खराब वाकया (Low Point) करार दिया…’

कौन थे बहरूल इस्लाम?
जस्टिस बहरूल इस्लाम मूल रूप से असम के नलबाड़ी के रहने वाले थे. उन्होंने असम के कॉटन कॉलेज और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की थी. साल 1951 में बतौर एडवोकेट एनरोलमेंट कराया. साल 1958 में सुप्रीम कोर्ट में भी प्रैक्टिस करने लगे. बहरूल इस्लाम छात्र जीवन से राजनीति से जुड़े थे. वह साल 1956 तक असम की सोशलिस्ट पार्टी के मेंबर थे. फिर 1956 में कांग्रेस ज्वाइन की और अलग-अलग पदों पर रहे थे. बाद में 1962 और 1968 में दो बार कांग्रेस ने उन्हें राज्यसभा भेजा. 1972 में उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और गुवाहाटी हाई कोर्ट के जज बन गए.

पूर्व सीजेआई वाईवी चंद्रचूड़

कांग्रेसी CM के पक्ष में दिया फैसला
फिर 4 दिसंबर 1980 को सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त हुए. अभिनव चंद्रचूड़ लिखते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में रहते हुए इस्लाम ने एक बहुचर्चित केस में बिहार के तत्कालीन चीफ मिनिस्टर और कांग्रेस (I) के नेता जगन्नाथ मिश्रा के फेवर में फैसला दिया. इसके ठीक बाद उन्होंने फरवरी 1983 में सुप्रीम कोर्ट से इस्तीफा दे दिया. 6 महीने बाद कांग्रेस (I) के टिकट पर असम की बारपेटा सीट से लोकसभा चुनाव मैदान में उतर गए. हालांकि उस वक्त असम में हालात बिगड़ गए और बारपेटा सीट पर चुनाव नहीं हो पाया. फिर 1983 में ही कांग्रेस ने उन्हें तीसरी बार राज्यसभा भेज दिया.

Tags: DY Chandrachud, Justice DY Chandrachud, Supreme Court, Supreme court of india

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