किसानों के लिए एडवाइजरी जारी: बेगूसराय में पिछात धान की कटाई के बाद गेहूं की करें बुआई, रबी मक्का के लिए कल तक समय – Begusarai News

मौसम में हो रहे बदलाव के मद्दे नजर ग्रामीण कृषि मौसम सेवा ने किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की। इसी के अनुसार खेती करने की अपील की है। कृषि विज्ञान केन्द्र के वरीय वैज्ञानिक और प्रधान रामपाल विभिन्न माध्यम से लोगों को लगातार इसके लिए जागरूक कर रहे हैं।
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पिछात धान की कटाई कर किसान प्राथमिकता के साथ गेहूं की बुआई करें। सिंचित और सामान्य समय पर गेहूं की बुआई के लिए तापमान और मौसम की अन्य परिस्थिति अनुकूल है। खेती की तैयारी के समय 150-200 क्विंटल कम्पोस्ट, 60 किलो नेत्रजन, 60 किलो फॉस्फरस और 40 किलो पोटास प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करें।

गेंहू के खेत में उपज।
बुआई के लिए पीबीडब्ल्यू-343, पीचीडब्लू-443, सीबीडब्लू-38, डीबीडब्लू-39, एचडी-2733, एचडी-2824, के-9107, के-307, एचयूडब्लू- 206 एवं एचयूडब्लू-468 उत्तर बिहार के लिए अनुशंसित किस्म है। बीज की बुआई से पहले 2.5 ग्राम बेबीस्टीन की दर से प्रति किलो बीज को उपचारित करें। छिटाव विधि से बुआई के लिए प्रति हेक्टेयर 125 किलो और सीड ड्रिल से पंक्ति में बुआई के लिए 100 किलो बीज का उपयोग करें।
रबी मक्का की बुआई के लिए 30 नवंबर तक ही उपयुक्त समय है। इसके बाद उपज प्रभावित हो सकती है। बुआई के लिए संकर किस्में शक्तिमान-1 सफेद, शक्तिमान-2 सफेद, शक्तिमान-3 पीला, शक्तिमान-4 पीला, शक्तिमान-5 पीला, गंगा-11 नारंगी पीला, राजेन्द्र संकर मक्का-1, राजेन्द्र संकर मक्का-2 एवं राजेन्द्र संकर मक्का दीप ज्वाला, संकुल किस्में देवकी सफेद, लक्ष्मी सफेद एवं सुआन पीला इस क्षेत्र के लिए अनुशंसित है। खेत की जुताई में 50 किलो नेत्रजन, 75 किलो फास्फोरस और 50 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर के दर से उपयोग करें।

मक्के के खेत में उपज।
आलू की रोपाई जल्द समाप्त करें। कुफरी चंद्रमुखी, कुफरी अशोका, कुफरी पुखराज, कुफरी बादशाह, कुफरी लालिमा, कुफरी ज्योति, कुफरी सिंदूरी, कुफरी आनन्द, कुफरी पुष्कर, कुफरी अरुण, कुफरी गिरधारी, कुफरी सदाबहार, राजेन्द्र आलू-1, राजेन्द्र आलू-2 तथा राजेन्द्र आलू-3 का उपज बेहतर होता है।
बीज दर 25-30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रखें। पंक्ति से पंक्ति की दूरी 50-60 सेंटीमीटर एवं बीज से बीज की दूरी 15-20 सेंटीमीटर रखें। आलू को काट कर लगाने पर तीन स्वस्थ आंख वाले टुकड़े को उपचारित कर 24 घंटे के अन्दर लगाएं। बीज को एगलौल या एमीसान के 0.5 प्रतिशत घोल या डाइथेन एम-45 के 0.2 प्रतिशत घोल में 10 मिनट तक उपचारित कर छाया में सुखाकर रोपनी करें।
समूचा आलू (20-40 ग्राम) लगाना बेहतर है। खेत की जुताई में प्रति हेक्टेयर कम्पोस्ट 200-250 क्विंटल, 75 किलो नेत्रजन, 90 किलो फास्फोरस एवं 100 किलो पोटाश उपयोग करें।

खेतों में लगाया गया आलू।
चना की बुआई के लिए भी उपयुक्त समय चल रहा है। खेत की तैयारी करते समय प्रति हेक्टेयर 20 किलो नेत्रजन, 45 किलो फास्फोरस, 20 किलो पोटाश एवं 20 किलो सल्फर उपयोग करें। चना के लिए उन्नत किस्म पूसा 256, केपीजी-59 (उदय), केडब्लूआर-108, पंत जी- 186 एवं पूसा-372 अनुशंसित किस्म है। बीज को बेबीस्टीन 2.5 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें।
कजरा पिल्लू से बचाव के लिए 24 घंटा बाद उपचारित बीज को क्लोरपाईरीफॉस 8 मिली प्रति किलो की दर से मिलाएं। इसके बाद 4-5 घंटा छाया में रखने के बाद राइजोबियम कल्चर (पांच पैकेट प्रति हेक्टेयर) से उपचारित कर बुआई करें। छोटे दानों की किस्मों के लिए बीज दर 75 से 80 किलो एवं बड़े दानों के लिए 100 किलो प्रति हेक्टेयर रखें।
अक्टूबर महीने में बोई गई मटर, राजमा और सब्जी वाली फसलें, बैंगन, टमाटर, मिर्च, पत्ता गोभी, फूलगोभी में निकाई-गुड़ाई करने के साथ ही आवश्यकता के अनुसार सिंचाई करें। सब्जियों में कीट-व्याधि की भी निगरानी जरूर करें।
अक्टूबर माह में बोई गई लहसुन की फसल से खरपतवार की निकासी कर हल्की सिंचाई आवश्यकता के अनुसार करें। फसल में कीट की निगरानी करें। चारे के लिए जई तथा बरसीम की बुआई करें। जई के लिए 80-100 किलो बीज, बरसीम के लिए 25-30 किलो बीज प्रति हेक्टेयर उपयोग करें।
ठंड के मौसम में दुधारू पशुओं को सूखे स्थानों पर रखें और जलजमाव, गोबर मूत्र जमाव नहीं होने दें। खाना में दाना के रूप में तेलहन अनाज की मात्रा बढ़ाकर दें। नवंबर से मार्च तक पशुओं को डेगनाला रोग से बचाने के लिए धान के पुआल को सुखाकर और हरे चारे के साथ खिलाएं। फफूंद लगा पुआल नहीं दें, फफूंद लगा पुआल खिलाने से डेगनाला रोग की संभावना बढ़ जाती है।