Published On: Sun, Aug 4th, 2024

किसने लाया था Waqf Act, नरसिम्हा राव सरकार ने क्यों बढ़ाई थी ‘वक्फ’ की ताकत


नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने वक्फ बोर्ड के अधिकारों पर अंकुश लगाने की तैयारी शुरू कर दी है. सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार जल्द ही वक्फ बोर्ड अधिनियम में संशोधन से जुड़ा एक बिल संसद में पेश कर सकती है. इसके तहत वक्फ बोर्ड अधिनियम में 40 से अधिक संशोधनों किए जा सकते हैं. ऐसे में वक्फ बोर्ड अधिनियम में संशोधन की चर्चाओं के बाद इसके पीछे के इतिहास को जानना महत्वपूर्ण हो जाता है. वक्फ बोर्ड का गठन क्यों किया गया और इसमें वक्फ को क्या अधिकार मिलते हैं. आज हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं.

दरअसल, देश के आजाद होने के सात साल बाद 1954 में वक्फ अधिनियम पहली बार पारित किया गया. उस समय देश के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू थे. उनकी सरकार वक्फ अधिनियम लेकर आई, लेकिन बाद में इसे निरस्त कर दिया गया. इसके एक साल बाद 1955 में फिर से नया वक्फ अधिनियम लाया गया. इसमें वक्फ बोर्डों को अधिकार दिए गए. 9 साल बाद 1964 में केंद्रीय वक्फ परिषद का गठन किया गया, जो अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधीन था. इसका काम वक्फ बोर्ड से संबंधित कामकाज के बारे में केंद्र सरकार को सलाह देना होता है.

वक्फ परिषद के गठन के लगभग 30 साल बाद साल 1995 में पीवी नरसिम्हा राव की नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने वक्फ एक्ट में पहली बार बदलाव किया. उन्होंने वक्फ बोर्ड की ताकत को और भी बढ़ा दिया. उस संशोधन के बाद वक्फ बोर्ड के पास जमीन अधिग्रहण के असीमित अधिकार आ गए. हालांकि, साल 2013 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए-2 सरकार में वक्फ एक्ट में फिर से संशोधन किया गया.

वक्फ को लेकर विवाद अंग्रेजों के जमाने से चला आ रहा है. वक्फ की संपत्ति पर कब्जे का विवाद लंदन स्थित प्रिवी काउंसिल तक पहुंचा था. अंग्रेजी हुकूमत के दौरान ब्रिटेन में जजों की एक पीठ बैठी और उन्होंने इसे अवैध करार दिया था. लेकिन, ब्रिटिश भारत की सरकार ने इसे नहीं माना और इसे बचाने के लिए 1913 में एक नया एक्ट लाई.

8 दिसंबर 2023 को वक्फ बोर्ड (एक्ट) अधिनियम 1995 को निरस्त करने का प्राइवेट मेंबर बिल राज्यसभा में पेश किया गया था. यह बिल उत्तर प्रदेश से भाजपा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने पेश किया. राज्यसभा में इस बिल को लेकर विवाद भी हुआ और उस समय इस बिल के लिए मतदान भी कराया गया. तब बिल को पेश करने के समर्थन में 53, जबकि विरोध में 32 सदस्यों ने मत दिया. उस दौरान भाजपा सांसद ने कहा था कि ‘वक्फ बोर्ड अधिनियम 1995’ समाज में द्वेष और नफरत पैदा करता है.

Tags: Congress, Jawaharlal Nehru, Waqf Board

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