Published On: Sat, Nov 9th, 2024

कश्मीरी पंडितों की घर वापसी के लिए नई पॉलिसी: 4600 विस्थापित परिवारों की लिस्ट तैयार, 175 परिवारों को 3 महीने में बुलाने की कोशिश


नई दिल्ली9 मिनट पहले

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घाटी पर अत्याचार को लेकर कश्मीरी पंडित 1990 से आवाज उठाते आए हैं। (फाइल) - Dainik Bhaskar

घाटी पर अत्याचार को लेकर कश्मीरी पंडित 1990 से आवाज उठाते आए हैं। (फाइल)

जम्मू-कश्मीर में सरकार बनने के बाद कश्मीरी पंडितों की घर वापसी की प्रक्रिया नए सिरे से शुरू होने जा रही है। इसके लिए 4600 परिवारों की सूची तैयार की गई है। इनमें करीब 175 परिवारों की पहले चरण के तहत अगले तीन महीने में वापसी सुनिश्चित कराने की कोशिश है। इस अभियान को केंद्रीय गृह मंत्रालय और राज्य सरकार मिलकर चलाएंगे।

गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, कश्मीरी पंडितों की वापसी की प्रक्रिया को लेकर इस बार जो ब्लू प्रिंट तैयार हुआ है, उसे व्यवहारिक रखने की कोशिश की गई है।

पहले घर वापसी को पूर्णरूपेण रखा गया था। यानी जो विस्थापित होकर बाहर चले गए हैं, वे अपने परिवार और सामान सहित कश्मीर में अपने मूल स्थान पर लौट आएं।

उन्हें कश्मीर में बसने के लिए आर्थिक मदद, नौकरी, सुरक्षा और बाकी सुविधा देने की बात थी। लेकिन पूर्ण वापसी का यह प्रयोग अधिक सफल नहीं हो सका।

माना जा रहा है कि इस कवायद के तहत पहले चरण में 175 परिवार घाटी में लौटेंगे। उनकी सुरक्षा और जरूरी सुविधाओं को सुनिश्चित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार विशेष व्यवस्था करेंगी।

फोटो 2003 नदिमार्ग नरसंहार की है, पुलवामा जिले के नदिमार्ग गांव में आतंकियों ने 24 हिंदुओं को मौत के घाट उतार दिया था, इनमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल थीं।

फोटो 2003 नदिमार्ग नरसंहार की है, पुलवामा जिले के नदिमार्ग गांव में आतंकियों ने 24 हिंदुओं को मौत के घाट उतार दिया था, इनमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल थीं।

विस्थापित कश्मीरी पंडितों को प्रवासी कश्मीरी कहेंगे

  • गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, फिलहाल 4600 ऐसे परिवारों की सूची तैयार की गई है। इस बार कश्मीरी पंडितों की पूर्ण रूप से घर वापसी को शिथिल किया गया है। विस्थापितों की जगह इन्हें प्रवासी की श्रेणी में रखा गया है। यानी ऐसे विस्थापित जो काम-काज या रोजगार, शिक्षा के लिए बाहर हैं।
  • नई योजना में उन्हें घाटी के उनके पैतृक घर का मालिकाना हक सौंपने, घर की जरूरी मरम्मत के लिए 100 फीसदी आर्थिक मदद (केंद्र और राज्य सरकार मिलकर), बिजली-पानी मीटर में मूल निवासी का नाम-पता और जमीन-जायदाद की डिजिटल मैपिंग के साथ प्रमाण पत्र सौंपना आदि शामिल हैं।
  • जो कश्मीरी पंडित विस्थापित वापसी चाहते हैं उन्हें यह सुविधा होगी कि वे चाहें तो अभी जिस जगह काम में लगे हैं, वह करते रहें, लेकिन छुटि्टयों या पर्व-त्योहार पर रिश्तेदारों-मित्रों के घर पर किसी आयोजन में ठीक उसी तरह शामिल हों, जैसे अन्य राज्यों के प्रवासी करते हैं।

4600 परिवार देश के अलग-अलग हिस्सों में रह रहे गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, फिलहाल 4600 ऐसे परिवारों की सूची तैयार की गई है, जो घाटी से पलायन के बाद देश के विभिन्न हिस्सों में रह रहे हैं। इन्हें विस्थापितों की श्रेणी में रखना जारी रहेगा, लेकिन एक उपनियम के जरिए इन्हें प्रवासी का दर्जा दिया जाएगा।

यानी जो मूल रूप से घाटी के रहने वाले हैं और कामकाज के लिए राज्य से बाहर हैं, लेकिन साल-दो साल में अपने घर आते रहते हैं। राज्य सरकार पंचायत और वार्ड स्तर पर यह माहौल बनाने की कोशिश करेगी कि जो कश्मीरी पंडित घर लौटें, उन्हें पड़ोसी और स्थानीय प्रशासन से वह सारी सुविधाएं और सहयोग मिले, जो वहां रहने वाले गैर-पंडितों को मिल रहा है।

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अनुच्छेद 370 हटने के बाद भी घाटी में कश्मीरी पंडितों की वापसी मुश्किल बनी हुई है। 419 परिवारों ने बिना सरकारी मदद के घाटी में लौटने के लिए हिम्मत दिखाई और केंद्रीय गृह मंत्रालय में आवेदन दिया, लेकिन 5 साल बाद भी उन्हें जवाब नहीं मिला। ये 419 उन 60 हजार परिवारों में से ही हैं, जिन्होंने 1989 के आतंकी हमलों के चलते घाटी छोड़ दी थी। पूरी खबर पढ़ें…

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