ओपी चौटाला की अस्थि कलश यात्रा का दूसरा दिन: गुरुग्राम से शुरू होगी, 7 जिलों से गुजरेगी, पानीपत में रात्रि ठहराव होगा – Hisar News

पहले दिन यात्रा की फतेहाबाद से शुरूआत हुई थी। अस्थियों का कलश ओपी चौटाला के पोते अर्जुन चौटाला लेकर पहुंचे थे।
हरियाणा के 5 बार CM रहे ओपी चौटाला की अस्थि कलश यात्रा का आज शनिवार को दूसरा दिन है। यह यात्रा गुरुग्राम से शुरू होकर 7 जिलों से होते हुए गुजरेगी। इसके बाद पानीपत में रात्रि ठहराव होगा। वहीं, तीसरे और अंतिम दिन रविवार को यात्रा 8 जिलों को कवर करेगी।
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ओपी चौटाला का 89 साल की उम्र में गुरुग्राम में निधन हुआ था। उनकी रस्म पगड़ी और श्रद्धांजलि सभा 31 दिसंबर को चौधरी देवीलाल स्टेडियम, सिरसा में होगी। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल होने आ सकते हैं।

पहले दिन यात्रा 6 जिलों से गुजरी ओपी चौटाला की अस्थि कलश यात्रा पहले दिन फतेहाबाद से शुरू हुई। यहां उनके विधायक पोते अर्जुन चौटाला और विधायक भतीजे आदित्य देवीलाल चौटाला ने इसकी शुरूआत की। इसके बाद यात्रा हिसार, भिवानी, चरखी दादरी, महेंद्रगढ़ (नारनौल), रेवाड़ी से होते हुए गुरुग्राम पहुंची।
गुरुग्राम में यात्रा का रात्रि ठहराव हुआ। इस दौरान रास्ते में भारी संख्या में इनेलो समर्थकों ने ओपी चौटाला को श्रद्धांजलि दी।
पहले दिन यात्रा के 3 PHOTOS…

ओपी चौटाला की अस्थि कलश यात्रा की शुरूआत फतेहाबाद से हुई। यहां बड़ी संख्या में लोगों ने जमा होकर ओपी चौटाला अमर रहें का उद्घोष किया।

भिवानी और दादरी में ओपी चौटाला की अस्थि कलश यात्रा का स्वागत हुआ। यहां काफी लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे।

रेवाड़ी में अस्थि कलश पहुंचने पर लोगों ने चौटाला को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद यात्रा ने गुरुग्राम में पड़ाव डाला।
चौटाला की अस्थि कलश यात्रा के 3 सियासी मायने भी इनेलो के प्रदेश अध्यक्ष रामपाल माजरा का तर्क है कि यह यात्रा उन लोगों के लिए निकाली जा रही है, जो अंतिम संस्कार के वक्त श्रद्धांजलि नहीं दे सके थे। हालांकि, सियासी तौर पर भी इस यात्रा के 3 मायने निकाले जा रहे हैं।
1. कैडर वोट बैंक को एकजुट करना इनमें सबसे पहला इनेलो के कैडर वोट बैंक को एकजुट करना है। दरअसल, 2018 में बड़े भाई अजय चौटाला के अलग जननायक जनता पार्टी (JJP) बनाने के बाद इनेलो का वोट बैंक बंट गया। कुछ इनेलो के साथ रहे, लेकिन कुछ JJP के साथ चले गए। परिवार की लड़ाई में कई बड़े नेता भी पार्टी छोड़ गए।
2. कांग्रेस की हार में अवसर देख रही पार्टी प्रदेश के विधानसभा चुनाव में इसी साल कांग्रेस की लगातार तीसरी हार हुई। ऐसे में इनेलो को लगता है कि अब वोटर भाजपा के मुकाबले कांग्रेस को विकल्प नहीं मान रहा। ऐसे में इनेलो की वापसी हो सकती है। इसी साल चुनाव में जहां JJP जीरो सीट पर सिमट गई, वहीं इनेलो 2 सीटें जीतने में कामयाब रही। भले ही अभय चौटाला खुद चुनाव हार गए, लेकिन उनके उम्मीदवार ज्यादातर जगहों पर दूसरे या तीसरे स्थान पर रहे।
3. चुनाव चिन्ह छिनने का भी खतरा इनेलो के ऊपर पार्टी का चुनाव चिन्ह चश्मा के छिनने का भी खतरा मंडरा रहा है। इस बार इनेलो को इसे बचाने के लिए विधानसभा चुनाव में 6% वोट की जरूरत थी, लेकिन वह सिर्फ 4.14% वोट ही पा सकी। अगर चुनाव चिन्ह ही छिन गया तो इनेलो के लिए अस्तित्व बचाना मुश्किल हो जाएगा।