ऑनलाइन खाद बिक्री का भाकियू ने किया विरोध: युवा प्रदेशाध्यक्ष बोले- किसानों के लिए आफत, जरूरत के समय नहीं मिलती डीएपी व यूरिया – Bhiwani News

भारतीय किसान यूनियन हरियाणा के युवा प्रदेश अध्यक्ष रवि आजाद
भारतीय किसान यूनियन हरियाणा के युवा प्रदेश अध्यक्ष रवि आजाद ने कहा खबर है कि अब हरियाणा में किसानों को खाद ऑनलाइन मिलेगी। किसानों को मेरी फसल मेरा ब्योरा (MFMB) पोर्टल पर अपनी फसलों का ब्योरा देना होगा कि उसके खेत में कौन-सी फसल है और कौन-सी फसल की ब
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उन्होंने कहा कि लगभग 31 लाख हेक्टेयर में खरीफ की फसलों की बिजाई होती है और करीब 32 लाख हेक्टेयर में रबी की फसलों की बिजाई होती है। जब से भाजपा सरकार हरियाणा में आई है। इन्होंने थानों में खाद बंटवाई है। किसानों को डीएपी के समय डीएपी नहीं मिलता, यूरिया के समय यूरिया नहीं मिलता। बड़े स्तर पर काला बाजारी होती है। दुकानदार डीएपी व यूरिया के साथ दूसरे उत्पाद किसानों को देते हैं। आवाज उठाने के बाद भी हरियाणा में कोई सुनने वाला नहीं है।

भारतीय किसान यूनियन हरियाणा के युवा प्रदेश अध्यक्ष रवि आजाद
किसानों को कटवा रहे चक्कर रवि आजाद ने कहा कि इस योजना पर 2 सवाल हैं। पहले से मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल चल रहा है। किसान उसमें अपनी फसल का रजिस्ट्रेशन करवाता है। सरकार को पता है कि प्रति एकड़ रबी व खरीफ की फसलों में कितनी डीएपी व यूरिया की जरूरत है। क्या सरकार वह कमी दूर कर पाई आज तक। अब सरकार फिर से यह कह रही है कि जुलाई के बाद यूरिया व डीएपी केवल पंजीकृत किसानों को मिलेगा। जिन्होंने मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर जानकारी देंगे, उसी हिसाब से खाद मिलेगा। बार-बार किसान को चक्कर कटवा रहे हैं।
फसल बिजाई के बाद होता है रजिस्ट्रेशन और खाद चाहिए पहले जो मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल है उस पर किसान पंजीकरण तब करवाता है, जब वह फसल की बिजाई कर देता है। फसल का जब उगाव होता है तब वह रजिस्ट्रेशन करवाता है। किसान को डीएपी की जरूरत है बिजाई के समय। सरकार व कृषि विभाग बताए कि आप किसान को डीएपी किस आधार पर देंगे। सरकार द्वारा बिना सिर-पैर की योजनाएं बनाई जाती हैं और किसान को खून के आंसू रुलाने का काम किया जाता है। जब पटवारी ऑनलाइन गिरदावरी करता है, तब फसल मान्य होती है। आज खाद के लिए भी किसान को इतना तंग किया जाएगा, तो किसानों को खून के आंसू रुलाने का काम किया जाएगा। सरकार इस योजना को वापस ले। बिना किसी लाग-लपेट के समय यूरिया व डीएसपी टाइम से किसान को मिले। उसके नाम पर किसानों को लूटा ना जाए।