Published On: Fri, Jun 13th, 2025

एक ही जगह, फ्लाइट रूट, 2 प्लेन क्रैश…वो भी 48 घंटे में! दुनिया रह गई थी दंग


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Ahmedabad Plane Crash: अहमदाबाद प्लेन क्रैश में 241 लोगों की मौत, केवल एक व्यक्ति बचा. 1950 में भी इसी रूट पर दो विमान हादसे हुए थे. तकनीकी प्रगति के बावजूद विमान सुरक्षा की चुनौतियां बरकरार हैं.

एक ही जगह, फ्लाइट रूट, 2 प्लेन क्रैश…वो भी 48 घंटे में!  दुनिया रह गई थी दंग

मामले की जांच डीजीसीए कर रहा है. (File Photo)

हाइलाइट्स

  • अहमदाबाद प्लेन क्रैश में 241 लोगों की मौत.
  • 1950 में भी एक ही रूट पर दो विमान हादसे हुए थे.
  • तकनीकी प्रगति के बावजूद विमान सुरक्षा चुनौतियां बरकरार.

Ahmedabad Plane Crash: अहमदाबाद प्‍लेन क्रैश की घटना ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है. इस हादसे में केवल एक शख्‍स ही जिंदा बच सका. बाकी सभी की मौत हो गई. आज से ठीक 75 साल पहले आज ही के दिन यानी 12 जून 1950 को एक विमान हादसा हुआ था. तब एयरफ्रंस का विमान Douglas DC-4 बहरीन के पास क्रैश हो गया था. सबसे ज्‍यादा डराने वाली बात यह है कि इस हादसे के 48 घंटे बाद यानी 14 जून को एक और प्‍लेन क्रैश हुआ था. यह हादसा भी इसी रूट पर और बहरीन के पास ही हुआ था. इन हादसों में 86 लोगों की मौत हो गई थी.

दो हादसे तीन समानताएं

अब 2025 के अहमदाबाद एयर इंडिया फ्लाइट AI-171 हादसे ने एक बार फिर याद दिलाया कि तकनीक और संसाधनों की तमाम प्रगति के बावजूद विमान सुरक्षा की चुनौतियां पूरी तरह खत्म नहीं हुई हैं. तब पहला विमान 12 जून 1950 को साइगॉन (अब हो ची मिन्ह सिटी) से पेरिस की उड़ान पर था. बीच में कराची से उड़ान भरने के बाद जब वह बहरीन के पास पहुंचा तो रडार से गायब हो गया. बाद में पता चला कि वह समुद्र में क्रैश हो गया था. दो दिन बाद वही मॉडल (DC-4), वही रूट और वही एयरलाइन. दूसरा विमान भी बहरीन के पास ही क्रैश कर गया. दोनों हादसों में कुल 86 लोगों की जान गई.

बेहतर तकनीक के बावजूद हो रहे हादसे

उस वक्त जांच संसाधनों की कमी, कमजोर रडार तकनीक, मौसम की जानकारी के सीमित साधन और नाइटविजन की अनुपस्थिति जैसी समस्याएं सामने आई थी. हादसे के कारणों में नेविगेशनल एरर, पायलट थकान, तकनीकी खराबी और मौसम प्रमुख आशंकाएं थीं. अब Air India की फ्लाइट AI-171 अहमदाबाद में क्रैश हो गई, जिसमें 241 यात्रियों की मौत हो गई है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के अनुसार विमान में 1.25 लाख लीटर ईंधन था और आग इतनी भयावह थी कि बचाव लगभग असंभव हो गया. एकमात्र जीवित यात्री की पुष्टि हुई है. 1950 में जैसा रडार और नेविगेशनल समर्थन का अभाव था आज टेक्नोलॉजी है लेकिन सवाल पायलट ट्रेनिंग, मेंटेनेंस स्टैंडर्ड और ईंधन प्रबंधन पर उठते हैं.

सिस्‍टम अब भी नहीं हो सका अचूक

1950 के हादसों के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उड़ानों के लिए नेविगेशनल एड्स, पायलट ट्रेनिंग, और मौसम पूर्वानुमान प्रणाली में क्रांतिकारी सुधार हुए. आज हर विमान में ब्लैक बॉक्स होता है, जो दुर्घटना के कारणों का विश्लेषण आसान बनाता है. एयर ट्रैफिक कंट्रोल, ऑटो-पायलट, और सैटेलाइट ट्रैकिंग जैसी सुविधाएं हादसों की संभावना को काफी हद तक कम कर चुकी हैं. लेकिन अहमदाबाद की दुर्घटना यह दिखाती है कि सिस्टम कभी भी अचूक नहीं होता. मौसम, ह्यूमन एरर, तकनीकी चूक या आपदा प्रबंधन की देर. किसी भी एक कड़ी की कमजोरी भी त्रासदी को जन्म दे सकती है.

75 साल बाद क्‍यों नहीं रुक रहे हादसे

1950 के बहरीन हादसों से लेकर 2025 के अहमदाबाद हादसे तक, तकनीक और समय बदला है, लेकिन आसमान में उड़ान की चुनौतियां अब भी जीवित हैं. जरूरी है कि हम हर हादसे से सीखें. केवल मृतकों की गिनती न करें, बल्कि उनके बलिदान से भविष्य को सुरक्षित बनाएं. यही वह चेतावनी है जो 75 साल पहले की दो दुर्घटनाएं और आज की एक भयावह त्रासदी हमें एक सुर में देती हैं. उड़ान का सपना तभी सार्थक है, जब सुरक्षा उसकी नींव हो.

Sandeep Gupta

पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्‍त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्‍कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और…और पढ़ें

पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्‍त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्‍कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और… और पढ़ें

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