एक डॉक्टर की कहानी… जहां परिवार की जंग और मरीजों की सेवा के बीच फैला अनोखा संघर्ष!

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Udaipur News: उदयपुर के आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. शोभालाल ओदीच्च्या ने अपनी मां की गंभीर बीमारी के बावजूद मरीजों की सेवा को सर्वोपरि रखा. उनका समर्पण और निष्ठा समाज के लिए प्रेरणादायक मिसाल है, जो आयुर्वेदिक चिकि…और पढ़ें

डॉक्टर शोभालाल
हाइलाइट्स
- डॉ. शोभालाल की मां वेंटिलेटर पर भर्ती हैं.
- डॉ. शोभालाल रोजाना क्लिनिक पहुंचकर मरीजों की सेवा करते हैं.
- उनका समर्पण समाज के लिए प्रेरणादायक है.
उदयपुर. धरती पर डॉक्टर को भगवान का दर्जा यूं ही नहीं दिया गया है. जब एक चिकित्सक अपने परिवार की चिंता छोड़कर मरीजों की सेवा को प्राथमिकता देता है, तब यह दर्जा और अधिक सार्थक हो उठता है. उदयपुर के आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. शोभालाल ओदीच्च्या इसका एक जीवंत उदाहरण हैं.
डॉ. शोभालाल की मां ब्रेन हैमरेज के कारण एक निजी अस्पताल में वेंटिलेटर पर भर्ती हैं. परिवार की यह गंभीर परिस्थिति किसी को भी मानसिक रूप से झकझोर सकती है, लेकिन डॉ. शोभालाल ने अपने फर्ज को प्राथमिकता दी है. वे रोजाना समय पर क्लिनिक पहुंचकर मरीजों की जांच और परामर्श करते हैं. उनका कहना है कि जैसे एलोपैथिक डॉक्टर उनकी मां की सेवा में लगे हैं, वैसे ही उनका भी दायित्व है कि वे अपने मरीजों की सेवा करें.
मरीजों की उम्मीदें डॉक्टर से जुड़ी हैं
डॉ. शोभालाल का मानना है कि मरीजों की उम्मीदें चिकित्सक से जुड़ी होती हैं. जब कोई मरीज उपचार की आशा लेकर क्लिनिक आता है और वहां डॉक्टर नहीं मिलते, तो उसकी उम्मीदें टूट जाती हैं. वे नहीं चाहते कि कोई मरीज यह सोचकर लौट जाए कि डॉक्टर क्लिनिक पर मौजूद नहीं हैं. यही वजह है कि वे मां की गंभीर हालत के बावजूद अपने पेशे के प्रति पूरी निष्ठा से जुड़े हुए हैं.
आयुर्वेद के प्रति बढ़ता भरोसा
डॉ. शोभालाल कई वर्षों से आयुर्वेदिक चिकित्सा सेवा में कार्यरत हैं. वे बताते हैं कि आज के समय में लोगों का झुकाव फिर से आयुर्वेद की ओर बढ़ रहा है. प्राकृतिक और बिना साइड इफेक्ट वाली चिकित्सा प्रणाली के प्रति लोगों का भरोसा बढ़ा है. इसलिए वे इसे केवल पेशा नहीं, बल्कि सेवा का माध्यम मानते हैं.
समाज के लिए प्रेरणादायक समर्पण
डॉ. शोभालाल की यह समर्पण भावना समाज के लिए प्रेरणादायक है. जहां अक्सर लोग निजी कारणों से काम से दूर हो जाते हैं, वहीं वे यह सिखाते हैं कि सच्चा सेवाभाव किसी भी परिस्थिति में डिगता नहीं है. उनका यह समर्पण न केवल मरीजों के लिए, बल्कि चिकित्सा जगत के लिए भी एक मिसाल है.