एक गोली खाओ और 4 महीने में दुबले हो जाओ: वजन घटाने के लिए गुजरात में बैलून कैप्सूल का क्रेज, जानिए क्या है स्लिमिंग मेडिसिन? – Gujarat News

वजन कम करने के लिए लोग तरह-तरह के तरीके अपनाते हैं। बहुत से लोग जिम जाते हैं और तरह-तरह की एक्सरसाइज भी करते हैं। कुछ कम आहार पर रहते हैं, तो कुछ बेरिएट्रिक सर्जरी कराते हैं। दूसरी ओर, ऐसे लोग भी हैं जो आसानी से वजन कम करने के मेडिकल तरीके ढूंढते हैं
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बैलून एक ऐसा कैप्सूल है, जो पेट में जाने के बाद फूल जाता है। इससे पेट में जगह कम हो जाती है और खाना कम खाना पड़ता है। जैसे-जैसे खाना कम होता जाता है, वजन भी अपने आप कम होने लगता है।
बैलून कैप्सूल ट्रीटमेंट क्या है? यह कैसे होता है? इसकी कीमत कितनी क्या है? क्या इससे कोई दुष्प्रभाव हो सकता है? इन सभी सवालों के जवाब पाने के लिए हमने अहमदाबाद में 20 साल से अधिक समय से बेरिएट्रिक सर्जरी कर रहे डॉक्टर अपूर्व व्यास से बातचीत की। पढ़िए उनसे हुई बातचीत के अंश…

बिना प्रिस्क्रिप्शन के नहीं मिलते कैप्सूल सबसे पहले यह जान लें कि ये बलून कैप्सूल किसी भी व्यक्ति के लिए सीधे तौर पर उपलब्ध नहीं हैं। इसे डॉक्टर से ही लेना होगा। ये कैप्सूल केवल तभी मिल सकते हैं, जब मोटापे का इलाज करने वाले एंडोस्कोपिस्ट या बेरिएट्रिक सर्जन द्वारा तय किए गए हो।
बलून कैप्सूल ट्रीटमेंट के 2 तरीके हैं बैलून कैप्सूल! जैसा कि आप नाम से ही समझ गए होंगे यह एक तरह का गुब्बारा है। इन गुब्बारों को दो तरीकों से पेट में इंस्टॉल किया जाता है। एक तरीका है एंडोस्कोपी और दूसरा तरीका है स्वैलो पिल। स्वैलो पिल में कैप्सूल को किसी दवा की तरह निगलना होता है। जिसके बाद यह पेट के अंदर जाकर गुब्बारा बन जाता है। इससे पेट में जगह कम हो जाती है और भूख कम हो जाती है। भूख कम लगने से खाना कम खाया जाता है और धीरे-धीरे वजन कम होने लगता है।
700 मिलीलीटर तक भरा जा सकता है पानी इन दोनों तरीकों के बारे में बताते हुए डॉ. अपूर्व व्यास का कहना है कि एंडोस्कोपी के जरिए जो बैलून कैप्सूल डाला जाता है, उसमें मरीज को एनेस्थीसिया देकर बेहोश करना होता है। इसके बाद एंडोस्कोपी की मदद से गुब्बारे को पेट में रखा जाता है। इसके बाद इसे फुलाया जाता है। जिसके बाद असेंबली को बाहर निकाला जाता है और मरीज को तीन घंटे के लिए एडमिट कर छुट्टी दे दी जाती है।
इस तरीके से गुब्बारे में 700 एमएल तक पानी भरा जासकता है। एंडोस्कोपी बैलून के दो फायदे हैं। इस गुब्बारे को जरूरत से ज्यादा फुलाया सकता है, जिससे पेट की क्षमता को कम करके अधिक वजन घटाया जा सकता है। अगर इसे एक साल तक बरकरार रखा जाए तो मरीज का अतिरिक्त वजन 15 से 20 प्रतिशत तक कम हो जाता है। डॉक्टर को एंडोस्कोपी द्वारा लगाए गए गुब्बारे को निकालना पड़ता है। डॉक्टर इसे सुखाकर हटा देता है।

स्वैलो पिल मेथड इस ट्रीटमेंट के लिए हाल ही में स्वैलो पिल्स का नया मेथड आया है, जो बहुत आसान है। इसमें कैप्सूल को पानी के साथ निगल लिया जाता है। कैप्सूल पेट में पहुंचता है। हालांकि, कैप्सूल पेट तक ठीक से पहुंचा है या नहीं। इसकी पुष्टि के लिए एक्स-रे किया जाता है। फिर इसमें लगी एक ट्यूब के जरिए बाहर से 300 से 350 एमएल पानी पंप करके इसे फुलाया जाता है। इसके बाद ट्यूब को खींच लिया जाता है। इस प्रोसेस के बाद गुब्बारा पेट में ही रह जाता है।
4 महीने बाद कैप्सूल डिफलेक्ट हो जाता है स्वैलो पिल का फायदा यह है कि इसमें टाइम स्यूल्स लगा होता है। इस वजह से 4 महीने के बाद गुब्बारे का वाल्व खुल जाता है और उसमें मौजूद पानी पेट से बाहर निकल जाता है। जिसके बाद बलून कैप्सूल डिफलेक्ट हो जाता है और मल के जरिए बाहर आ जाता है। इस बलून कैप्सूल का काम चार महीने तक काफी है। यानी कि 3-4 महीने के बाद इसका असर खत्म हो जाता है। हालांकि, यह मरीज पर दोबारा डिपेंड करता है कि वह कम हुए वजन को किस तरह से आगे भी मैंटेन करके रख पाता है।
सीने में सूजन या उल्टी हो सकती स्वैलो पिल के निगेटिव पॉइंट के बारे में डॉक्टर अपूर्व व्यास का कहना है कि जब एंडोस्कोपी के जरिए बलून पेट में डाला जाता है तो हम पहले एंडोस्कोपी करते हैं। हम जांच करते हैं कि इसमें बलून रखा जा सकता है या नहीं। जबकि स्वैलो पिल में हम बलून को बिना एंडोस्कोपी के सीधे इंस्टॉल कर देते हैं। ऐसे में अगर मरीज की भोजन नली के बीच का वाल्व ढीला है तो बलून लगाने पर पता चल जाएगा। रोगी को रिफ्लेक्सिस, उल्टी की समस्या भी हो सकती है। इसीलिए हम मरीजों को समझाते हैं कि यदि आपको रिफ्लेक्सिस की समस्या है, तो आपको सीने में जलन या उल्टी का अनुभव भी हो सकता है।

बेरिएट्रिक सर्जरी और बैलून कैप्सूल बेरिएट्रिक सर्जरी तेजी से वजन घटाने वाली सर्जरी है, जो 3 प्रकार से होती है… 1 लैप बैंड सर्जरी। इसके बाद खाने की कैपेसिटी कम हो जाती है। 2 स्लीव गैस्ट्रेक्टोमी सर्जरी। इसके बाद हर हफ्ते 1.5 से 2 किलो वजन कम हो जाता है। 3 गैस्ट्रिक बाईपास सर्जरी। जिसमें आंत को काटकर उसे बॉल के आकार का बना दिया जाता है।
बलून कैप्सूल ट्रीटमेंट बेरिएट्रिक सर्जरी से बहुत अलग है। इसमें किसी ऑपरेशन की जरूरत नहीं पड़ती।
बॉडी मास इंडेक्स के आधार पर डॉ. अपूर्व व्यास के मुताबिक, इसे बिना किसी सर्जरी के इंस्टॉल किया जाता है। बलून के लिए एक स्पेसिफिक इंडिकेशन है, जिसमें बॉडी मास इंडेक्स देखा जाता है।

अब समझिए बॉडी मास इंडेक्स क्या है? किसी व्यक्ति के वजन को उसकी ऊंचाई के वर्ग से विभाजित किया जाता है। इसमें जो संख्या मिलती है उसे BMI कहा जाता है।
जब बॉडी मास इंडेक्स 28 से 32 के बीच आ जाता है और अधिक वजन के कारण होने वाले साइड इफेक्ट्स जैसे घुटनों में दर्द या सांस लेने में तकलीफ के साथ वजन कम करना मुश्किल हो जाता है, तो यह बलून कैप्सूल वजन घटाने के काम आता है।
किसी भी उम्र में ले सकते हैं ट्रीटमेंट बलून कैप्सूल का ट्रीटमेंट किस उम्र में लिया जा सकता है? इसके जवाब में डॉ. व्यास का कहना है- जो मरीज एंडोस्कोपी कराने के लिए तैयार नहीं हैं या उन्हें एनेस्थीसिया लेने में कोई समस्या है, तो हम स्वैलो पिल का उपयोग करके बॉडी में कैप्सूल इंस्टॉल करते हैं। इसमें उम्र की दिक्कत नहीं है। बस, जिन मरीजों का बीएमआई 28 से 32 के बीच है, वे यह ट्रीटमेंट ले सकते हैं। इस प्रोसेस के परिणामस्वरूप 8 से 12 प्रतिशत वजन कम हो सकता है।
उदाहरण देते हुए वह कहते हैं कि अगर किसी का वजन 30 किलो ज्यादा है तो 4 महीने में उसका वजन 5 से 7 किलो कम हो जाएगा। जब किसी की बॉडी का मास इंडेक्स 35 से ऊपर होता है और डायबिटीज टाइप-2 या बॉडी मास इंडेक्स 40 से ऊपर होता है, तो वजन घटाने में स्वैलो पिल की भूमिका ज्यादा नहीं रह जाती। हां, जिन मामलों में बॉडी मास इंडेक्स 60 या इससे ऊपर है। वहां सर्जरी और एनेस्थीसिया के के जरिए बलून इंस्टॉल कर वजन 15 से 20 किलो तक कम किया जा सकता है।

मरीज को एक डाइट प्लान फॉलो करना होगा डॉ. व्यास ने कहा कि बैलून कैप्सूल मरीज के शरीर में प्रवेश करने के बाद, मरीज को तुरंत छुट्टी दे दी जाती है लेकिन उन्हें उचित आहार योजना का पालन करना होता है। आपको बेरिएट्रिक सर्जरी जैसे सख्त आहार योजना का पालन करने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन हम शुरुआती दिनों में तरल आहार, कुछ दिनों के बाद गाढ़ा तरल आहार, नरम आहार जैसे 10 से 15 दिनों का कार्यक्रम देते हैं। जिससे खाना पेट में कम जाता है और शरीर में गुब्बारे जैसा हो जाता है।
एक्सरसाइज, साइक्लिंग और स्वीमिंग की सलाह डॉ. व्यास के मुताबिक, यदि कोई मरीज डाइट प्लान के साथ-साथ प्रभावी ढंग से अपना वजन कम करना चाहता है, तो उसे कुछ भारी व्यायाम करना चाहिए। जैसे कि साइक्लिंग, स्वीमिंग, रनिंग आदि। अगर कोई वृद्ध व्यक्ति है तो उसे पैदल चलना चाहिए। इस बैलून कैप्सूल को इंस्टॉल करने से व्यक्ति की जीवनशैली में कोई बदलाव नहीं आता है। ट्रीटमेंट के बाद मरीज पहले जैसा ही नॉर्मल जीवन जीता है। जीवनशैली में किसी भी बदलाव के लिए आपके खाने का तरीका बहुत महत्वपूर्ण रहता है।
गुजरात में अब तक करीब 700 लोगों ने लिया ट्रीटमेंट डॉ. व्यास बताते हैं कि गुजरात में अब तक लगभग 500 से 600 मरीजों का एंडोस्कोपी और 75 से 90 को स्वैलो पिल ट्रीटमेंट दिया जा चुका है। उन्होंने कहा कि पिछले 3-4 वर्षों से गुजरात में बैलून कैप्सूल ट्रीटमेंट चलन में है। हालांकि, मैं इसे एंडोस्कोपी के जरिए से इंस्टॉल करना ज्यादा अच्छा समझता हूं। क्योंकि, इसमें 700 मिलीलीटर तक पानी भरा जा सकता है। इससे गुब्बारा ज्यादा फुलाया जा सकता है। गुब्बारे को अधिक फुलाने से भोजन का सेवन कम होता है, जिससे वजन अधिक घटता है। इस कैप्सूल का प्रचलन यूरोप में शुरू हुआ था। करीब आठ साल पहले 1-2 यूरोपीय देशों ने मिलकर ये ट्रीटमेंट शुरू किया था।

टमेंट के खर्च के बारे में डॉ. व्यास ने बताया कि एक साल के लिए एंडोस्कोपी के जरिए रखे गए बलून की लागत लगभग 2.50 से 3 लाख रुपए के बीच है। जबकि स्वेलो पिल की कीमत लगभग 3.50 से 4 लाख रुपए के बीच है। स्वैलो पिल के साथ सहायक उपकरण भी प्रदान किए जाते हैं। इन सहायक उपकरणों का उपयोग स्वास्थ्य की गतिविधि का पता लगाने के लिए किया जाता है।
तला या मसालेदार खाने वालों के लिए नहीं है कैप्सूल बैलून कैप्सूल किसे नहीं दिया जाना चाहिए? इस सवाल के जवाब में डॉ. व्यास ने कहा- बलून कैप्सूल से पेट फूल जाता है। यह रिफ्लेक्सिस का कारण बनता है। सरल शब्दों में कहें तो ज्यादा तला, मसालेदार खाने वाले व्यक्ति को सीने में जलन और गैस जैसी समस्या होती है। इसके चलते ऐसे लोगों को यह कैप्सूल नहीं दिया जाता है।
2 मरीजों के फोड़ने पड़े थे बलून बैलून कैप्सूल के अब तक के अनुभव के बारे में बात करते हुए डॉ. व्यास ने कहा कि इससे मरीज को कोई परेशानी नहीं होती है। लेकिन, इसमें रिफ्लेक्सिस और उल्टी होना बहुत आम बात है। बलून कैप्सूल में वजन घटाना भी बहुत सीमित है। मैं कुद एक बेरिएट्रिक सर्जन हूं। इसलिए मैं केवल भारी बॉडी मास इंडेक्स वाले लोगों को ही देखता हूं। लेकिन, अगर कम बॉडी मास इंडेक्स वाले लोग आते हैं तो हम पहले उनका मार्गदर्शन करते हैं। मेरे पास आने वाले लगभग 2 से 5 प्रतिशत रोगियों को स्वैलो पिल बलून की आवश्यकता होती है। मेरे पास 2 ऐसे मरीज भी आए थे कि हमें अर्जेंट में एंडोस्कोपी करके बैलून फोड़ना पड़ा था, क्योंकि रिफ्लेक्स बहुत ज्यादा हो गया था।

हर 6 महीने में इस बैलून कैप्सूल का उपयोग कर सकते हैं डॉ. व्यास कहते हैं कि यदि मरीज का शरीर बलून को एक्सेप्ट कर लेता है, तो वह हर 6 महीने में इस कैप्सूल का उपयोग कर सकता है। लेकिन मुझे लगता है कि एक बार इस कैप्सूल से शरीर को हटा देने के बाद शरीर का वजन आवश्यकतानुसार कम हो जाता है। उसके बाद शरीर का नुकसान उतना नहीं होता। बेरिएट्रिक सर्जरी के बारे में भी यही सच है। पहली सर्जरी में जितना वजन कम हुआ था, दूसरी सर्जरी में उतना वजन कम नहीं होता है। इसलिए बार-बार बलून लगाना उचित नहीं है।
उन्होंने लोगों से डॉक्टर को निर्णय लेने देने की अपील करते हुए बलून कैप्सूल के ट्रीटमेंट के बारे में डॉ. व्यास कहते हैं कि आपको इस ट्रीटमेंट से पहले इसकी पूरी प्रोसेस के बारे में जानकारी होनी चाहिए। आप डॉक्टर के पास जाएं और अपने बॉडी मास इंडेक्स की जांच कराएं, ब्लड रिपोर्ट की जांच कराएं, पारिवारिक इतिहास बताएं। अपने खानपान की सही जानकारी दें। इसके बाद भी डॉक्टर को ही यह निर्णय लेने दें कि आपकी बॉडी के लिए कौन सा ट्रीटमेंट सही है।
सोशल मीडिया पर विज्ञापन के खिलाफ चेतावनी उन्होंने सोशल मीडिया पर विज्ञापन के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा कि लोग सोशल मीडिया पर विज्ञापन दे रहे हैं कि आप बिना सर्जरी के गुब्बारा लगा सकते हैं और अपना वजन कम कर सकते हैं। तो इस तरह के विज्ञापनों पर बिल्कुल भी ध्यान न दें। डॉक्टर से ही जांच कराएं और फिर तय करें कि बलून ट्रीटमेंट आपके लिए फिट है या नहीं। क्योंकि अगर बलून आहार नली में जाकर फूल जाए तो उससे व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।