Published On: Tue, Dec 24th, 2024

उपराष्ट्रपति बोले- कांग्रेस का अविश्वास प्रस्ताव जंग लगा चाकू: बायपास सर्जरी के लिए कभी सब्जी काटने वाले चाकू का इस्तेमाल नहीं करते


नई दिल्ली3 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक
उपराष्ट्रपति निवास में महिला पत्रकारों के एक डेलिगेशन के साथ बातचीत करते उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़। - Dainik Bhaskar

उपराष्ट्रपति निवास में महिला पत्रकारों के एक डेलिगेशन के साथ बातचीत करते उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़।

देश के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा चेयरमैन जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को कहा कि बायपास सर्जरी के लिए कभी सब्जी काटने वाला चाकू इस्तेमाल नहीं करते हैं। विपक्ष की तरफ से उन्हें राज्यसभा के चेयरमैन पद से हटाने के लिए दिया गया अविश्वास प्रस्ताव खारिज होने के बाद यह उनका पहला बयान है।

अपने निवास पर महिला जर्नलिस्ट्स को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, ‘उपराष्ट्रपति के खिलाफ दिया गया नोटिस तो देखिए… आपको हैरानी होगी। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी ने एक बार कहा था कि सब्जी काटने के चाकू का इस्तेमाल कभी भी बायपास सर्जरी के लिए न करें।’ दरअसल, इस अविश्वास प्रस्ताव में कई खामियां होने की बात कही गई थी, जिसके चलते इसे खारिज किया गया।

‘मेरे खिलाफ दिया गया नोटिस सब्जी काटने का चाकू भी नहीं था, उसमें जंग लगी हुई थी। वह बहुत जल्दबाजी में दिया गया था। जब मैंने उसे पढ़ा तो हैरान रह गया, लेकिन सबसे ज्यादा जिस बात से मुझे हैरानी हुई वो यह है कि आपमें से किसी ने उसे नहीं पढ़ा। अगर पढ़ा होता, तो आप कई दिन सो नहीं पातीं।’

उपराष्ट्रपति ने महिला जर्नलिस्ट्स से कहा कि अगर आपने विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव देखा होता तो आपको भी हैरानी होती।

उपराष्ट्रपति ने महिला जर्नलिस्ट्स से कहा कि अगर आपने विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव देखा होता तो आपको भी हैरानी होती।

धनखड़ बोले- अपनी बात कहने से पहले दूसरों का पक्ष सुनना जरूरी

धनखड़ ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी की जरूरत है क्योंकि यह डेमोक्रेसी की परिभाषा है। अगर इस अभिव्यक्ति को सीमित किया जाता है, इससे समझौता किया जाता है या इसे डराया-धमकाया जाता है तो लोकतांत्रिक मूल्यों में गिरावट होती है। लोकतंत्र को आगे बढ़ना चाहिए, लेकिन ये उसके उलट बात है।

धनखड़ ने कहा कि अपनी आवाज का इस्तेमाल करने से पहले आपको अपने कानों से दूसरे की बात सुननी चाहिए। इन दोनों चीजों के बिना लोकतंत्र न तो विकसित हो सकता है और न ही फल-फूल सकता है।

महिला जर्नलिस्ट्स के डेलिगेशन के साथ उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़।

महिला जर्नलिस्ट्स के डेलिगेशन के साथ उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़।

10 दिसंबर को पेश किया गया अविश्वास प्रस्ताव, 20 दिसंबर को खारिज हुआ

संसद के शीतकालीन सत्र के 10वें दिन (10 दिसंबर) विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। 20 दिसंबर को राज्यसभा के जनरल सेक्रेटरी पीसी मोदी ने बताया कि इस प्रस्ताव को उप-सभापति हरिवंश ने खारिज कर दिया है।

उप-सभापति ने कहा कि यह नोटिस विपक्ष का गलत कदम है। इसमें उपराष्ट्रपति का नाम तक गलत लिखा गया है और नोटिस के लिए 14 दिन का नोटिस पीरियड भी नहीं दिया गया है। यह सिर्फ सभापति की छवि खराब करने के मकसद से लाया गया है। ये नोटिस देश के संवैधानिक संस्थानों को बदनाम करने और वर्तमान उपराष्ट्रपति की छवि धूमिल करने की साजिश का हिस्सा है।

खड़गे ने कहा था- सभापति धनखड़ स्कूल के हेडमास्टर जैसे व्यवहार करते हैं

राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर INDIA ब्लॉक ने 11 दिसंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- सभापति राज्यसभा में स्कूल के हेडमास्टर की तरह व्यवहार करते हैं। विपक्ष का सांसद 5 मिनट भाषण दे तो वे उस पर 10 मिनट तक टिप्पणी करते हैं।

सभापति सदन के अंदर प्रतिपक्ष के नेताओं को अपने विरोधी के तौर पर देखते हैं। सीनियर-जूनियर कोई भी हो, विपक्षी नेताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर अपमानित करते हैं। उनके व्यवहार के कारण हम अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए मजबूर हुए हैं।

खड़गे ने अविश्वास प्रस्ताव लाने के 5 कारण बताए…

जगदीप धनखड़ जुलाई 2022 को भारत के उपराष्ट्रपति बने थे। उपराष्ट्रपति ही राज्यसभा के सभापति होते हैं।

जगदीप धनखड़ जुलाई 2022 को भारत के उपराष्ट्रपति बने थे। उपराष्ट्रपति ही राज्यसभा के सभापति होते हैं।

  • सदन में एक्सपीरियंस्ड नेता हैं, जर्नलिस्ट हैं, लेखक हैं, प्रोफेसर हैं। कई फील्ड में काम कर सदन में आए हैं। 40-40 साल का अनुभव रहा है, ऐसे नेताओं को भी सभापति प्रवचन सुनाते हैं।
  • आमतौर पर विपक्ष चेयर से प्रोटेक्शन मांगता है, अगर सभापति ही प्रधानमंत्री और सत्तापक्ष का गुणगान कर रहा हो तो विपक्ष की कौन सुनेगा।
  • 3 साल में धनखड़ का आचरण पद की गरिमा के विपरीत रहा है। कभी सरकार की तारीफ के कसीदे पढ़ते हैं, कभी खुद को RSS का एकलव्य बताते हैं। ऐसी बयानबाजी उनके पद को शोभा नहीं देती।
  • जब भी विपक्ष सवाल पूछता है तो मंत्रियों से पहले चेयरमैन खुद सरकार की ढाल बनकर खड़े होते हैं।
  • उनके खिलाफ हमारी कोई निजी दुश्मनी, द्वेष या राजनीतिक लड़ाई नहीं है। देश के नागरिकों को हम विनम्रता से बताना चाहते हैं कि हमने सोच-विचार कर संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए मजबूरी में ये कदम उठाया है।

—————————

उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें…

राज्यसभा सभापति धनखड़ और नेता विपक्ष खड़गे में बहस:धनखड़ बोले- मैंने बहुत बर्दाश्त किया, खड़गे ने कहा- आप सम्मान नहीं करते, मैं क्यों करूं

संसद में 13 दिसंबर को राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच जमकर बहस हुई। धनखड़ ने कहा, ‘मैंने बहुत सहा। मैं किसान का बेटा हूं, मैं झुकता नहीं हूं। विपक्ष ने संविधान की धज्जियां उड़ा दी हैं।’ जवाब में खड़गे ने कहा, ‘आप किसान के बेटे हो तो मैं मजदूर का बेटा हूं। आप सम्मान नहीं करते तो मैं आपका सम्मान क्यों करूं।’ पूरी खबर यहां पढ़ें…

4 पॉइंट से समझिए धनखड़ क्यों ‘RSS के एकलव्य’:आतंकी घटनाओं के दाग हटाए, राममंदिर केस में भूमिका, उपराष्ट्रपति चयन के दौरान संघ रहा सक्रिय

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 2 जुलाई 2024 को राज्यसभा में ये बयान दिया था- ‘मैं RSS (राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ) का एकलव्य बनकर रह गया। मन में एक टीस सदा रही कि मैंने प्रथम वर्ष क्यों नहीं किया, द्वितीय वर्ष क्यों नहीं किया, तृतीय वर्ष क्यों नहीं किया?’

भास्कर ने मामले में RSS के पूर्व प्रचारक और उनके साले हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रवीण बलवदा से बात कर धनखड़ का BJP-RSS से जुड़ाव समझने की कोशिश की। साथ ही ये भी जाना कि धनखड़ खुद को RSS का एकलव्य क्यों कहते हैं। पूरी खबर यहां पढ़ें…

खबरें और भी हैं…

.



Source link

About the Author

-

Leave a comment

XHTML: You can use these html tags: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>