उदयपुर के जगदीश मंदिर में 375वां ध्वजा महोत्सव धूमधाम से मनाया गया.

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Udaipur Jagdish Mandir: उदयपुर के जगदीश मंदिर में 375वां ध्वजा महोत्सव धूमधाम से मनाया गया. पुजारी भावेश ने बताया कि ज्येष्ठ मास में भगवान जगन्नाथ की ध्वजा चढ़ाई जाती है. श्रद्धालुओं ने पूजा की.

Udaipur Jagdish Mandir
हाइलाइट्स
- जगदीश मंदिर में 375वां ध्वजा महोत्सव धूमधाम से मनाया गया.
- श्रद्धालुओं ने विशेष हवन और पूजा में भाग लिया.
- मंदिर परिसर भजन-कीर्तन और जयकारों से गूंज उठा.
Udaipur Jagdish Mandir: शहर के प्रसिद्ध जगदीश मंदिर में 375वां ध्वजा महोत्सव बड़ी धूमधाम और धार्मिक उल्लास के साथ मनाया गया. यह आयोजन हर साल ज्येष्ठ माह में होता है, जिसमें कई श्रद्धालु शामिल होते हैं. इस साल भी सैकड़ों श्रद्धालु सुबह से ही मंदिर में जुटने लगे थे, और पूरे आयोजन के दौरान धार्मिक माहौल बना रहा.
ये परंपरा सदियों से चली आ रही
मंदिर के पुजारी भावेश पुजारी ने बताया कि यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. ज्येष्ठ मास में भगवान जगन्नाथ की ध्वजा को विशेष अनुष्ठानों के साथ मंदिर के शिखर पर चढ़ाया जाता है. इससे पहले मंदिर में विशेष हवन और पूजा का आयोजन किया गया. वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ प्रभु का आह्वान किया गया और श्रद्धालुओं ने मिलकर पूजा-अर्चना की. इसके बाद पारंपरिक विधि से मंदिर शिखर पर ध्वजा चढ़ाई गई.
श्रद्धालुओं ने नंगे पांव चलकर अपनी आस्था दिखाई
ध्वजा चढ़ाने की प्रक्रिया को देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर के आसपास इकट्ठा हुए. मंदिर परिसर भजन-कीर्तन, शंखध्वनि और जयकारों से गूंज उठा. कई श्रद्धालुओं ने नंगे पांव चलकर मंदिर तक पहुंचकर अपनी आस्था प्रकट की. महिलाओं और बच्चों की भी विशेष भागीदारी देखने को मिली.
हर साल श्रद्धालु बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं
पुजारी भावेश के अनुसार, यह ध्वजा भगवान जगदीश की शक्ति, शौर्य और साकार रूप का प्रतीक मानी जाती है. मान्यता है कि ध्वजा दर्शन मात्र से भक्तों को पुण्य मिलता है और उनके कष्टों का निवारण होता है. इसी कारण हर साल श्रद्धालु बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं.
समापन पर श्रद्धालुओं को प्रसाद बांटा
महोत्सव के सफल आयोजन के लिए मंदिर समिति और स्थानीय समाजजनों ने मिलकर तैयारियां की थीं. मंदिर प्रांगण को विशेष रूप से सजाया गया था और सुरक्षा व व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए थे. आयोजन के समापन पर श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया गया.
आस्था का केंद्र बना
ध्वजा महोत्सव के इस ऐतिहासिक आयोजन ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया कि उदयपुर की धार्मिक परंपराएं आज भी लोगों की आस्था का केंद्र बनी हुई हैं और आने वाली पीढ़ियों को अपनी जड़ों से जोड़ रही हैं.
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