Published On: Sun, May 25th, 2025

इस बार वट सावित्री व्रत पर बन रहा दुर्लभ संयोग, प्रभु की बरसेगी कृपा, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि


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Vat Savitri Vrat Auspicious Time: इस बार 26 मई को वट सावित्री व्रत मनाया जाएगा. इस दिन पूजा के अमृत सर्वोत्तम योग सुबह 5:51 बजे से 7:34 बजे तक रहेंगे. इसके अलावा उत्तम शुभ योग सुबह 9:17 मिनट से 11 बजे तक, अभिजी…और पढ़ें

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वट सावित्री व्रत 26 मई को है 

हाइलाइट्स

  • इस बार वट सावित्री व्रत 26 मई को है.
  • पूजा का अमृत सर्वोत्तम योग सुबह 5:51 से 7:34 बजे तक रहेगा.
  • महिलाएं शिव, विष्णु एवं सावित्री की आराधना करेंगी.

जयपुर. हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व है. इस बार यह व्रत 26 मई को है. यह व्रत केवल विवाहित महिलाओं द्वारा हो किया जाता है. धर्म विशेषज्ञ चंद्रप्रकाश ढांढण ने बताया कि इस व्रत से महिलाओं को अखंड सौभाग्य का फल प्राप्त होता है. उन्होंने बताया कि इस बार वट सावित्री व्रत के साथ इस दिन सोमवती अमावस्या होने के कारण इस दिन की महत्ता और अधिक बढ़ जाएगी. इस दिन महिलाएं शिव,विष्णु एवं सावित्री की एक साथ आराधना करेंगी.

धर्म विशेषज्ञ चंद्रप्रकाश ढांढण ने बताया अमावस्या तिथि दोपहर सोमवार को 12.12 मिनट बजे लगेगी. यह दूसरे दिन सुबह 8:32 तक रहेगी. पहले दिन पितृ कार्य व दूसरे दिन देव कार्य के लिए प्रशस्त्र मानी जाएगी.

पति की दिर्घायु उम्र के लिए पत्नी रखती हैं व्रत

धर्म विशेषज्ञ ने बताया कि 27 मई को ही देव कार्य अमावस्या के साथ शनि जयंती व श्रीसंत ज्ञानेश्वर जयंती भी मनाई जाएगी. आपको बता दें कि वट सावित्री व्रत के दिन बरगद के वृक्ष की पूजा कर महिलाएं देवी सावित्री के त्याग, पति प्रेम एवं पति व्रत धर्म का स्मरण करती हैं. वैदिक ग्रंथों, उपनिषद व पौराणिक ग्रंथों में मृत्यु को भी चुनौती देने वाले वट प्रजाति के वृक्षों में बरगद को अमूल्य बताया गया है. इसकी जड़, छाल, पत्ता, दूध, छाया और हवा न सिर्फ मनुष्यों बल्कि पृथ्वी, प्रकृति एवं जीव-जंतुओं के लिए जीवन रक्षक माना गया है.

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जान नें पूजन की विधि

धर्म विशेषज्ञ चंद्रप्रकाश ढांढण ने बताया कि निर्णय सागर पंचांग के अनुसार इस दिन पूजा के अमृत सर्वोत्तम योग सुबह 5:51 बजे से 7:34 बजे तक रहेंगे. इसके अलावा उत्तम शुभ योग सुबह 9:17 मिनट से 11 बजे तक, अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:15 से 1.05 बजे तक रहेगा. इसके अलावा इस व्रत के लिए सुबह स्नान कर पीले रंग के वस्त्र धारण करें. इसके बाद पति का चेहरा देखें या अगर आपके पति दूर रहते हैं, तो उनकी तस्वीर देखें. फिर श्रृंगार कर पूजन सामग्री को थाल में रखकर पूजा की तैयारी करें. वट वृक्ष के नीचे सावित्री व सत्यवान की मूर्ति को स्थापित करें और इसके बाद वट वृक्ष में जल अर्पित करके फूल, भीगे चने, गुड़ और मिठाई चढ़ाएं.

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वट सावित्री व्रत पर बन रहा दुर्लभ संयोग, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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