Published On: Mon, Nov 18th, 2024

इन सफेद फूलों में छिपे हैं आयुर्वेदिक गुण, काढ़ा, चूर्ण और लेप तीनों है उपयोगी, ठंड से बचने का रामबाण इलाज


जयपुर:- द्रोणपुष्पी एक आयुर्वेदिक औषधीय पौधा है. राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत मात्रा में पाया जाता है. यह आयुर्वेद में विभिन्न औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है. आयुर्वेदिक डॉक्टर पिंटू भारती ने लोकल 18 को बताया कि द्रोणपुष्पी एक छोटा, झाड़ीदार पौधा है, जिसकी ऊंचाई लगभग 30-60 सेमी होती है. इसके पत्ते छोटे, संकरे और हल्के रोएदार होते हैं. फूल सफेद रंग के और गुच्छों में लगते हैं, जो देखने में सुंदर होते हैं.

आयुर्वेद डॉक्टर ने बताया कि द्रोणपुष्पी का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में कई रोगों के इलाज के लिए किया जाता है. यह बुखार को कम करने में सहायक है, इसके अलावा अपच और गैस्ट्रिक समस्याओं के इलाज में भी बहुत काम आता है. इसके अलावा द्रोणपुष्पी को आयुर्वेद में शीतल, कषाय और तिक्त गुणों वाला माना गया है.

उपयोग करने की विधि
आयुर्वेद डॉक्टर पिंटू भारती ने Local 18 को बताया कि द्रोणपुष्पी वात, पित्त, कफ को संतुलित करने में सहायक है. इसके पत्तों या फूलों को पानी में उबालकर काढ़ा बनाया जाता है. इसके अलावा सूखे पत्तों का चूर्ण विभिन्न रोगों में सेवन किया जाता है. वहीं घाव और सूजन पर लगाने के लिए इसका लेप तैयार किया जाता है.

द्रोणपुष्पी के आयुर्वेदिक फायदे
आयुर्वेदिक डॉक्टर पिंटू भारती ने बताया कि द्रोणपुष्पी को बुखार और मलेरिया के उपचार में प्रभावी माना गया है. यह शरीर को ठंडक प्रदान करती है और तापमान को नियंत्रित करती है. इसका काढ़ा बनाकर पीने से ज्वर में राहत मिलती है. यह सर्दी, खांसी, गले में खराश और दमा (अस्थमा) जैसे श्वसन रोगों में लाभकारी है. इसमें एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो श्वसन तंत्र को संक्रमण से बचाते हैं. इसके पत्तों का काढ़ा या रस शहद के साथ लेने से आराम मिलता है.

द्रोणपुष्पी अपच, गैस, पेट फूलना, और दस्त जैसे पाचन समस्याओं को ठीक करने में उपयोगी है. यह पाचन अग्नि को बढ़ाकर भूख में सुधार करती है. पाचन तंत्र को सुधारने के लिए चूर्ण या काढ़ा बनाकर इसका सेवन करना चाहिए. यह त्वचा संक्रमण, सूजन, घाव और कीड़ों के काटने के लिए बहुत उपयोगी है. इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीसेप्टिक गुण त्वचा को तेजी से ठीक करने में सहायक होते हैं. पत्तों का पेस्ट बनाकर घाव पर लगाया जाता है. इसके सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. यह शरीर से विषैले पदार्थों को निकालने में मदद करता है. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए नियमित रूप से इसका काढ़ा पी सकते हैं.

Tags: Health News, Health tips, Local18

Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.

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