इंदौर में छात्राओं के कपड़े उतरवाकर चेकिंग: स्कूल में मोबाइल की रिंग बजने पर की छानबीन; पेरेंट्स का हंगामा – Indore News

इंदौर के एक सरकारी स्कूल में चेकिंग के नाम पर छात्राओं के कपड़े उतरवा लिए गए। जिसके बाद पेरेंट्स ने हंगामा कर दिया। साथ ही आरोपी टीचर के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर थाने में शिकायती आवेदन भी दिया है।
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इस मामले में स्कूल के प्रिंसिपल ने जांच की बात की है। वहीं जिला शिक्षा अधिकारी सुषमा वैश्य छात्राओं के बयान लेने स्कूल पहुंची। मामला सामने आने के बाद कलेक्टर ने आरोपी टीचर को शिक्षा विभाग में अटैच कर दिया है।
टेस्ट के दौरान एक छात्रा के पास मिला था मोबाइल
ये घटना शुक्रवार की बताई जा रही है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि स्कूल में ज्यादातर छात्राएं गरीब परिवारों की हैं। स्कूल में टेस्ट (लोकल एग्जाम) के दौरान एक छात्रा के पास मोबाइल की घंटी बजी। शंका होने पर टीचर ने उसे क्लास से बाहर बुलाया।
चेकिंग में उसके पास की-पैड वाला मोबाइल पाया गया। इसके बाद 7 अन्य छात्राओं की भी चेकिंग की गई। आरोप है कि सभी छात्राओं को बाहर बने बाथरूम के अंदर ले जाकर उनके कपड़े उतरवाकर तलाशी ली गई।

कलेक्टर आशीष सिंह ने इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
पेरेंट्स ने की आरोपी टीचर पर कार्रवाई की मांग
छात्राओं ने घर जाकर पूरी घटना बताई। जिसके बाद स्कूल पहुंचे पेरेंट्स ने जमकर हंगामा किया। पेरेंट्स कहना है कि स्कूल के अंदर इस तरह की चेकिंग करना गलत है। बच्चों के पास अगर मोबाइल मिले थे तो शिकायत पेरेंट्स से करनी चाहिए थी, न कि कपड़े उतरवाकर हर बच्चे की चेकिंग करना था।
पेरेंट्स ने मल्हारगंज थाने में पूरे मामले में जांच के लिए एक आवेदन थाना प्रभारी को सौंपा है। संबंधित टीचर के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की है।
कलेक्टर ने टीचर को शिक्षा विभाग में अटैच किया
कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया- पेरेंट्स की ओर से शिकायत मिली थी। यह गंभीर मामला है। जांच के आदेश दे दिए हैं। जांच पूरी होने तक एक महिला टीचर को जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में अटैच कर दिया है।
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कांग्रेस ने कहा- ये गंभीर और शर्मनाक मामला
मध्यप्रदेश कांग्रेस की प्रवक्ता संगीता शर्मा ने कहा कि ये बेहद ही गंभीर और शर्मनाक मामला है। आरोपी टीचर पर तत्काल कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा- एक तरफ सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नाम पर करोड़ों रुपयों के विज्ञापन जारी करती है। दूसरी तरफ बेटियों को पढ़ाई के लिए सुरक्षित वातावरण तक उपलब्ध नहीं करा रही है। जब इंदौर जैसे शहर के स्कूलों की यह हालत है तो ग्रामीण क्षेत्रों के, कस्बों के शासकीय स्कूलों के क्या हालात होंगे यह भी विचार करने वाली बात है।
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