आस्ट्रेलिया में निशाना लगाएगी हरियाणवी पिता-पुत्र की जोड़ी: 15 जून पर्थ शहर में टूर्नामेंट, MP का रैंक वन शूटर है पुत्र, पिता हैं एडवोकेट – Rewari News

हरियाणवी पिता-पुत्र की जोड़ी ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में आयोजित आईएसएसएफ 10 मीटर एयर पिस्टल ओपन टूर्नामेंट में भाग लेगी। जिसका आयोजन राइन डोनौ पिस्टल क्लब द्वारा किया जा रहा है।
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पिता सीनियर वर्ग में भाग लेंगे जबकि बेटा जूनियर वर्ग 10 मीटर एयर पिस्टल में भाग लेगा। रोहतक सनसिटी में रहने वाले पेशे से एडवोकेट राज नारायण पंघाल मूल रूप से मैना गांव के रहने वाले हैं।
राज नारायण पंघाल के बेटे आशीष चौधरी मप्र में स्कूली खेलों में रैंक वन शूटर हैं। उनके पास लगातार दूसरे साल रैंक वन शूटर का खिताब है। जो मध्य प्रदेश के इंदौर में डेली कॉलेज के छात्र हैं।
जो वर्तमान में साइंस स्ट्रीम से 12वीं कक्षा में पढ़ रहे हैं। 15 जून को होने वाले टूर्नामेंट के लिए दोनों 11 जून को रवाना होंगे। दोनों 13 और 14 जून को ट्रेनिंग सेशन में हिस्सा लेंगे।
यूके में पिता-पुत्री ने लगाया था निशाना
राजनारायण पंघाल और उनकी बेटी आशिता पंघाल ने साल 2024 के दौरान यूके में आयोजित टूर्नामेंट में हिस्सा लेते हुए एक साथ निशाना लगाया था। प्रतियोगिता में 12 देशों के 185 शूटर ने हिस्सा लिया था। जिसमें आशिता पंघाल ने 16वीं तथा राजनारायण पंघाल ने 25 वीं रैंक हासिल की थी। आशिता पंघाल भी MP की महिला वर्ग में रैंक वन शूटर रहीं हैं। जो फिलहाल यूके में पढ़ाई कर रही है।
भिवानी में ले रहे हैं कोचिंग
रोहतक के रहने वाले राजनारायण पंघाल व उनके बच्चों ने भिवानी शहर की लक्ष्य स्पोर्टस शूटिंग एकेडमी से शूटिंग कोचिंग ली है। एकेडमी के ट्रेनर सूबेदार प्रदीप बैनीवाल ने बताया कि शूटिंग में हरियाणा का पहला परिवार है, जो एक साथ मुकाबले खेल रहा है। साल 2019 से दोनों भाई-बहनों व राजनारायण पंघाल ने शूटिंग ट्रेनिंग शुरू कर दी थी।
शूटिंग रैंकिंग से मिला बोर्डिंग स्कूल में एडमिशन
आशीष चौधरी 9वीं कक्षा में स्कूली गेम्स का नेशनल खेल चुका था, जिसमें इसकी रैंकिंग 70 थी। जिसके आधार पर मध्यप्रदेश के इंदौर में डेली कालेज ने पूर्ण छात्रवृत्ति सीट पर एडमिशन कर लिया था। डेली कॉलेज इंदौर, मध्य प्रदेश में स्थित एक सह-शैक्षिक आवासीय और डे बोर्डिंग स्कूल है। जिसे भारत में ब्रिटिश राज के दौरान ब्रिटिश भारतीय सेना के सर हेनरी डेली द्वारा स्थापित किया गया था। स्कूल की शुरुआत 1870 में रेजीडेंसी स्कूल के रूप में हुई थी।
स्कूल को दिलाए 6 मेडल
डेली कॉलेज इंदौर ने जिस उम्मीद के साथ आशीष चौधरी को अपना यहां एडमिशन दिया था, उसे आशीष ने पूरा कर दिखाया। इंडियन पब्लिक स्कूल स्टेट कान्फ्रेंस चैंपियनशिप में स्कूल को 6 मेडल दिलाए। जिसमें व्यक्तिगत और मिक्स्ड डबल के 3 गोल्ड और 3 सिल्वर मेडल शामिल हैं।
स्कूली नेशनल में बेटी भी ला चुकी गोल्ड
राज नारायण पंघाल की बेटी आशिता पंघाल ने भी अपनी भाई के साथ डेली कॉलेज इंदौर में एडमिशन लिया था। जिसने इंडियन पब्लिक स्कूल कान्फ्रेंस चैंपियनशिप में स्कूल को 2 गोल्ड दिलाए। जो व्यक्तिगत और टीम इवेंट में गेम्स में आए थे। बेटी अब यूके में कम्प्यूटर से ग्रेजुएशन कर रही है।
पत्नी हैं फिजिक्स प्रोफेसर
राजनारायण पंघाल की पत्नी रीना ग्रेवाल का मायका भिवानी के बामला गांव में है। जो भिवानी के गर्ल्स कालेज में फिजिक्स प्रोफेसर हैं। रीना ग्रेवाल ने भी शुरुआत में बच्चों के साथ एकेडमी जाना शुरू किया था। लेकिन बाद में समय की कमी के चलते उन्होंने बंद कर दिया।
चेस की हार ने दिखाई शूटिंग की राह
सितंबर 2018 में भिवानी में आयोजित जिला स्तरीय स्कूल गेम्स में आशिता ने चेस में गोल्ड जीता था। पानीपत में जब स्टेट चैंपियनशिप खेलने गए तो यह गेम टीम इवेंट बन गया। आशिता की टीम हारकर 10वें नंबर पर आई। आशिता को मलाल था कि दूसरे खिलाड़ियों की वजह से उनकी टीम हारी है। जिसके कारण वह रोने लगी। उस समय तो पिता ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं लेकिन दिसंबर में उनके घर शूटिंग एकेडमी खुलने का पंपलेट आया।
मनु भाकर से मिली प्रेरणा
भिवानी में शहर में शूटिंग एकेडमी खुलने का पंपलेट देखा तो उन्हें उसी साल कॉमनवेल्थ में गोल्ड जीतने वाली मनु भाकर का चेहरा एकदम से सामने आ गया। क्योंकि आस्ट्रेलिया में कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान जब मनु भाकर गोल्ड मेडल ले रही थी तो वे दर्शक दीर्घा में मौजूद थे। जिसके बाद उन्होंने शूटिंग एकेडमी से सपंर्क किया तो पता लगा कि कॉमनवेल्थ 2010 के राइफल इवेंट में हिस्सा लेने वाले सूबेदार सूबेदार प्रदीप बैनीवाल ट्रेनिंग देंगे।
पारदर्शी खेल है शूटिंग
राजनारायण पंघाल के अनुसार सबसे पारदर्शी खेल शूटिंग है, जिसमें कम्प्यूटर रिजल्ट बताता है। हालांकि सरकार की तरफ से कोई भी सरकारी कोच और शूटिंग रेंज उपलब्ध नहीं है, खिलाड़ी स्वयं ही अपना इंतजाम कर रहे हैं। खिलाड़ियों की मांग है कि शूटिंग खेल के लिए भी हर जिले में एक कोच और एक शूटिंग रेंज होनी चाहिए। इसमें 25 इवेंट खेले जाते है जिसमें मेडल की संभावना बढ़ जाती है।