Published On: Thu, Jul 18th, 2024

असम सरकार मुस्लिम विवाह कानून निरस्त करने को लाएगी बिल, कैबिनेट ने दी विधेयक को मंजूरी


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असम मंत्रिमंडल ने बृहस्पतिवार को असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम एवं नियम 1935 को निरस्त करने के लिए एक विधेयक को मंजूरी दी है, जो विशिष्ट परिस्थितियों में कम उम्र में विवाह की अनुमति देता था। मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने यह जानकारी दी। निरसन विधेयक 2024 को विधानसभा के आगामी मानसून सत्र के दौरान पेश किए जाने की संभावना है। इस साल की शुरुआत में, मंत्रिमंडल ने अधिनियम को समाप्त करने की मंजूरी दे दी थी और बृहस्पतिवार की बैठक में इस निर्णय को लागू करने के लिए आवश्यक निरसन विधेयक को अधिकृत किया गया।

शर्मा ने मंत्रिमंडल की बैठक की अध्यक्षता करने के तुरंत बाद सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘हमने बाल विवाह के खिलाफ अतिरिक्त सुरक्षा उपाय करके अपनी बेटियों और बहनों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।’’उन्होंने कहा, ‘‘आज असम मंत्रिमंडल की बैठक में हमने असम निरसन विधेयक 2024 के माध्यम से असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम एवं नियम 1935 को निरस्त करने का निर्णय लिया है।’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि इसे निरस्त करने के निर्णय का उद्देश्य ‘‘विवाह और तलाक के पंजीकरण में समानता’’ लाना है।

उन्होंने आगे लिखा, “आज असम कैबिनेट की बैठक में हमने असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम और नियम 1935 को निरस्त करने का निर्णय लिया है।” मुख्यमंत्री हिमंत सरमा ने इस कदम को बेटियों को न्याय सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया एक एक महत्वपूर्ण कदम करार दिया और कहा कि यह बाल विवाह के खिलाफ उन्हें अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करेगा।

उन्होंने कहा कि निरसन विधेयक को अगले मानसून सत्र में विधानसभा के समक्ष विचार के लिए रखा जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘राज्य मंत्रिमंडल को यह भी निर्देश दिया गया है कि असम में मुस्लिम विवाहों के पंजीकरण के लिए एक उपयुक्त कानून लाया जाए, जिस पर विधानसभा के अगले सत्र तक विचार किया जाएगा।’’ मंत्रिमंडल ने राज्य में बाल विवाह के सामाजिक खतरे को समाप्त करने के लिए 23 फरवरी को अधिनियम को निरस्त करने के निर्णय को मंजूरी दे दी थी।

इस कानून के निरस्त हो जाने से अब कई बदलाव आएंगे। मसलन, बाल विवाह पर प्रतिबंध लग जाएगा। इसके अलावा विवाहों का पंजीकरण अनिवार्य हो जाएगा और काजियों (विवाह और तलाक रजिस्ट्रार) को सेवा से हटा दिया जाएगा। यानी काजी अब ना तो निकाह पढ़वा सकेंगे और ना ही किसी का तलाक करवा  सकेंगे। उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा।

इस अधिनियम की धारा 8 में प्रावधान था कि अगर वर या वधू या दोनों नाबालिग हैं, तो उनके विवाह के पंजीकरण के लिए  उनके वैध अभिभावकों द्वारा आवेदन किया जाएगा। यानी इस प्रक्रिया से उनका विवाह वैध था लेकिन इस कानून के समाप्त हो जाने के बाद यह प्रावधान समाप्त हो गया और राज्य में बाल विवाह पर प्रतिबंध लग गया है।

यह कदम राज्य मंत्रिमंडल द्वारा ब्रिटिश कालीन असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935 को रद्द करने और उस कानून के तहत सभी विवाह और तलाक की कार्यवाही को विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के दायरे में स्थानांतरित करने के निर्णय के कुछ महीने बाद उठाया गया है। (भाषा इनपुट्स के साथ)

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