असम में सरकारी नौकरी के लिए वहीं जन्म होना जरूरी: हिमंत सरकार नए कानून बना रही; लव-जिहाद में उम्रकैद, हिंदू-मुस्लिम में जमीन सौदे पर CM की सहमति जरूरी
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गोवाहाटी6 मिनट पहले
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सरमा ने 19 जुलाई को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि साल 2041 तक असम मुस्लिम बहुल राज्य बन जाएगा। (फाइल फोटो)
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने रविवार (4 अगस्त) को दो बड़े ऐलान किए। पहला यह कि जल्द ही असम सरकारी नौकरी उन्हीं लोगों को मिलेगी, जो असम में में पैदा हुए हैं। दूसरा ये कि लव-जिहाद के मामलों में आरोपी को उम्रकैद की सजा दी जाएगी। सरमा ने ये बातें BJP की राज्य कार्यकारिणी की बैठक में कहीं।
इसके अलावा सरमा ने बताया कि असम सरकार ने हिंदुओं और मुसलमानों के बीच जमीन की बिक्री के संबंध में भी निर्णय लिया है। हालांकि सरकार इसे रोक नहीं सकती है, लेकिन खरीद-बिक्री से पहले मुख्यमंत्री की सहमति लेना जरूरी कर दिया है।
बैठक में सरमा ने क्या कहा विस्तार से पढ़ें…
सरमा ने बैठक में कहा कि जल्द ही एक नई डोमिसाइल पॉलिसी पेश की जाएगी, जिसके तहत केवल असम में जन्मे लोग ही राज्य सरकार की नौकरियों के लिए पात्र होंगे। चुनाव में किए वादे के अनुसार दी गई एक लाख सरकारी नौकरियों में असम के लोगों को प्राथमिकता दी गई है। पूरी सूची पब्लिश होने पर यह स्पष्ट हो जाएगा।
मुस्लिम मैरिज के लिए लाया जाएगा नया एक्ट
सीएम सरमा ने 18 जुलाई को घोषणा की थी कि मंत्रिमंडल ने मुस्लिम मैरिज एक्ट 1935 को रद्द करते हुए नए कानून बनाने को मंजूरी दे दी है। असम मंत्रिमंडल ने इसी साल फरवरी में मुस्लिम मैरिज एक्ट को रद्द करने की मंजूरी दी थी। उन्होंने कहा था कि नए कानून से शादी और तलाक के नियमों में समानता आएगी। साथ ही बाल विवाह जैसी कुप्रथा पर भी रोक लगेगी।
असम मंत्रिमंडल ने इसी साल फरवरी मुस्लिम मैरिज एक्ट को रद्द करने की मंजूरी दी थी।
पहले दावा किया था कि असम 2041 तक असम मुस्लिम बहुल राज्य बन जाएगा
इससे पहले 19 जुलाई को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सरमा ने कहा था कि राज्य में मुस्लिम आबादी हर 10 साल में 30% बढ़ रही है, जबकि हिंदू आबादी हर 10 साल में करीब 16 फीसदी ही बढ़ रही है।। ऐसे में साल 2041 तक असम मुस्लिम बहुल राज्य बन जाएगा। यह हकीकत है और इसे कोई नहीं रोक सकता।
विधानसभा के मानसून सत्र में होगी बिल पर चर्चा
सीएम सरमा ने जुलाई में मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सोशल मीडिया पोस्ट करके जानकारी दी थी कि हमने बाल विवाह के खिलाफ अतिरिक्त सुरक्षा उपाय करने जा रहे हैं। जो बेटियों और बहनों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम होगा।
मौजूदा एक्ट लड़कियों को 18 और लड़कों को 21 साल की उम्र से पहले शादी करने की अनुमति देता है।मंत्रिमंडल को निर्देश दिए गए हैं कि असम में मुस्लिम मैरिज रजिस्ट्रेशन के लिए एक कानून लाया जाए। जिस पर विधानसभा के अगले सत्र में विचार किया जाएगा।
विपक्ष ने फैसले को बताया था मुस्लिम भेदभावपूर्ण
इसी साल फरवरी में असम सरकार के मंत्रिमंडल ने असम मुस्लिम मैरिज एंड डिवोर्स रजिस्ट्रेशन एक्ट एंड रूल्स ऑफ 1935 को रद्द करने पर सहमति व्यक्त की थी। इसे असम रिपीलिंग बिल 2024 के माध्यम से हटाया जाएगा।
फरवरी में विपक्षी दलों ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि कानून चुनावी साल में वोटरों का धुव्रीकरण करने के लिए लाया गया है।
कांग्रेस के विधायक अब्दुल रशीद मंडल ने कहा था कि चुनावी घड़ी में सरकार मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रही है। यह मुसलमानों के खिलाफ भेदभावपूर्ण निर्णय है।
मुस्लिम मैरिज एक्ट रद्द होने से क्या बदलाव होंगे
मुस्लिम मैरिज एक्ट 1935 के रद्द होने के बाद मुस्लिम विवाह या तलाक का रजिस्ट्रेशन स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के माध्यम से हो सकेगा। इसके अलावा 1935 से विवाह की उम्र में मिलने वाली छूट भी खत्म कर दी जाएगाी।
मुस्लिम विवाह और तलाक का रजिस्ट्रेशन डिस्ट्रिक्ट कमिश्नर और डिस्ट्रिक्ट रजिस्ट्रार द्वारा किया जाएगा। इससे पहले जो काजी डिवोर्स रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत काम कर रहे थे, उन्हें हटा दिया जाएगा और इसके बदले उन सभी को एकमुश्त दो-दो लाख रुपए का मुआवजा दिया जाएगा।
यूनिफॉर्म सिविल कोड की तरफ बढ़ रही असम सरकार
फरवरी 2023 में जब असम सरकार ने मुस्लिम मैरिज एक्ट को रद्द करने वाली बात कही थी। तब राज्यमंत्री मल्लाबरुआ ने कहा कि हम समान नागरिक संहिता की ओर बढ़ रहे हैं। इसी को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला लिया गया है।
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