Published On: Wed, Nov 27th, 2024

अश्विनी वैष्णव बोले-वल्गर कंटेंट रोकने के लिए सख्त कानून बने: जहां से ये कंटेंट आ रहा, वहां की और हमारी संस्कृति में बहुत अंतर


नई दिल्ली5 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक
संसद के शीतकालीन सत्र का बुधवार को दूसरा दिन था। - Dainik Bhaskar

संसद के शीतकालीन सत्र का बुधवार को दूसरा दिन था।

केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया पर वल्गर कंटेंट की रोकथाम के लिए सख्त कानून बनाने की बात कही। वैष्णव ने कहा- जिन देशों से ऐसे कंटेंट आते हैं, उनकी संस्कृति हमसे काफी अलग है।

वैष्णव ने कहा- वल्गर कंटेंट की रोकथाम के लिए पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी को इस विषय पर ध्यान देने और कानून को सख्त करने की जरूरत है।

वैष्णव ये बात बुधवार को संसद सत्र के दूसरे दिन लोकसभा सांसद अरुण गोविल के पूछे गए सवाल के जवाब में कही। गोविल ने सोशल मीडिया पर वल्गर कंटेंट से युवाओं पर पड़ रहे असर और इसकी रोकथाम के लिए सरकार की जिम्मेदारी पर सवाल उठाए थे।

अरुण गोविल ने पूछा- वल्गर कंटेंट को रोकने के लिए मौजूदा तंत्र क्या है?

सांसद गोविल ने सदन में पूछा कि वल्गर कंटेंट को रोकने के लिए मौजूदा तंत्र क्या है? और क्या सरकार इन कानूनों को और सख्त करने का प्रस्ताव कर रही है?

इसके जवाब में वैष्णव ने कहा- सोशल मीडिया के युग में एडिटोरियल चेक होना समाप्त हो गया है। पहले प्रेस से जो कुछ भी छपता था, उसे चेक किया जाता था कि यह सही है या गलत, और फिर उसे मीडिया में लाया जाता था।

उन्होंने कहा कि एडिटोरियल चेक के खत्म होने के कारण आज सोशल मीडिया एक तरफ फ्रीडम ऑफ प्रेस का बहुत बड़ा माध्यम बन गया है, लेकिन दूसरी तरफ यह एक अनकंट्रोल्ड एक्सप्रेशन हैं, जिसमें कई तरह के वल्गर कंटेंट डाले जाते हैं।

वैष्णव ने कहा कि इसके लिए मौजूदा कानून को और सख्त करने की आवश्यकता है। इसके लिए हमें आम सहमति की भी जरूरत है।

सुप्रीम कोर्ट बोला था- चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना, डाउनलोड करना अपराध

सुप्रीम कोर्ट ने 24 सितंबर को कहा था कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी डाउनलोड करना और देखना POCSO और IT एक्ट के तहत अपराध है। CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए फैसला सुनाया था।

जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कहा था कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी की जगह ‘चाइल्ड सेक्शुअल एक्सप्लॉएटेटिव एंड एब्यूसिव मटेरियल’ शब्द का इस्तेमाल किया जाए। केंद्र सरकार अध्यादेश लाकर बदलाव करे। अदालतें भी इस शब्द का इस्तेमाल न करें।

दरअसल, मद्रास हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर कोई ऐसा कंटेंट डाउनलोड करता और देखता है, तो यह अपराध नहीं, जब तक कि नीयत इसे प्रसारित करने की न हो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे कंटेंट का स्टोरेज, इसे डिलीट ना करना और इसकी शिकायत ना करना बताता है कि इसे प्रसारित करने की नीयत से स्टोर किया गया है।

हाईकोर्ट ने ये केस खारिज करके अपने फैसले में गंभीर गलती की है। हम उसका फैसला रद्द करते हैं और केस को वापस सेशन कोर्ट भेजते हैं। पूरी खबर पढ़ें…

भारत में अश्लील वीडियो पर 3 कानून

  • भारत में ऑनलाइन पोर्न देखना गैर-कानूनी नहीं है, लेकिन इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 में पोर्न वीडियो बनाने, पब्लिश करने और सर्कुलेट करने पर बैन है।
  • इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 के सेक्शन 67 और 67A में इस तरह के अपराध करने वालों को 3 साल की जेल के साथ 5 लाख तक जुर्माना देने का भी प्रावधान है।
  • IPC के सेक्शन-292, 293, 500, 506 में भी इससे जुड़े अपराध को रोकने के लिए कानूनी प्रावधान बनाए गए हैं। POCSO कानून के तहत कार्रवाई होती है।

………………………………………………

वल्गर कंटेंट से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें…

सरकार ने बैन किए 18 OTT प्लेटफॉर्म्स:जानें कैसे फैला अश्लीलता का जाल, कोरोनाकाल में 1200% से ज्यादा बढ़ा वल्गर कंटेंट

16 मार्च 2024 को 18 OTT प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील कंटेंट दिखाने के चलते बैन लगा दिया गया था। सरकार के इस कदम के बाद से OTT पर स्ट्रीम किए जाने वाले कंटेंट को लेकर बहस छिड़ गई थी। इस खबर में हम आपको बताएंगे कि OTT पर पोर्न कंटेंट का जाल किस तरह फैला। इसका सोसाइटी पर कैसा असर पड़ता है और साथ ही बताएंगे कि OTT प्लेटफॉर्म्स की मॉनिटरिंग कैसे की जाती है। पूरी खबर पढ़ें…

खबरें और भी हैं…

.



Source link

About the Author

-

Leave a comment

XHTML: You can use these html tags: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>