Published On: Wed, Jun 26th, 2024

अयोध्या के राम मंदिर की छत से पानी टपकने के दावे पर ट्रस्ट की सफाई- जहां भगवान रामलला विराजमान…


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Ayodhya Ram Mandir: प्री-मॉनसून की बारिश के बाद रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास शास्त्री ने जिस तरह राम मंदिर के निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठा कर आरोपों की झड़ी लगाई, उसके बाद से तीर्थ क्षेत्र में हड़कंप मचा है। अब मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास और तीर्थ क्षेत्र के सचिव चंपत राय आमने सामने आ गए हैं। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की ओर से सफाई दी गई है। राम मंदिर ट्रस्ट ने सोशल मीडिया पोस्ट में बताया है कि गर्भगृह जहां भगवान रामलला विराजमान है, वहां एक भी बूंद पानी छत से नहीं टपका है और न ही कहीं से पानी का गर्भगृह में प्रवेश हुआ है। भवन निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेन्द्र मिश्र ने एक दिन पहले साफ किया था कि निर्माण में कोई तकनीकी खामी नहीं है क्योंकि हर निर्माण की जांच सीबीआरआई के विशेषज्ञ करते हैं और प्रमाण पत्र देते हैं। 

बुधवार को तीर्थ क्षेत्र महासचिव चंपतराय भी सामने आए और उन्होंने सोशल मीडिया में सिलसिलेवार जवाब दिया है। इसके साथ दावा किया कि गर्भगृह में एक बूंद पानी नहीं टपका और पानी कहीं से भी नहीं प्रवेश किया। चंपत राय ने राम मंदिर में पानी आने को लेकर पूरा तथ्य सार्वजनिक किया है। उन्होंने बताया कि  गर्भगृह के आगे पूर्व दिशा में गूढ़ मंडप है। वहां मंदिर के द्वितीय तल की छत का कार्य पूर्ण होने के पश्चात (भूतल से लगभग 60 फीट ऊंचा ) गुम्बद जुड़ेगा और मण्डप की छत बन्द हो जाएगी। इस मंडप का क्षेत्रफल 35 फीट व्यास का है, जिसको अस्थायी रूप से प्रथम तल पर ही ढक कर दर्शन कराये जा रहे हैं। द्वितीय तल पर पिलर निर्माण कार्य चल रहा है। उन्होंने बताया कि रंग मंडप एवं गूढ़ मंडप के बीच  उत्तर एवं दक्षिण दिशा में दोनों तरफ उपर तल पर जाने की सीढ़ियां है, जिनकी छत भी द्वितीय तल की छत के ऊपर जाकर ढंकेगी। यह कार्य भी प्रगति पर है।

बताया गया कि पत्थरों से बनने वाले मंदिर में बिजली के तार के लिए बनाई जाने वाली लेन व जंक्शन बाक्स का कार्य पत्थर की छत के ऊपर होता है और लेन को छत मे छेद करके नीचे उतारा जाता है जिससे मंदिर के भूतल के छत की लाइटिंग होती है। ये लेन और जंक्शन बाक्स ऊपर के फ्लोरिंग के दौरान वाटर टाईट करके सतह में छुपाईं जाती है। चूंकि प्रथम तल पर बिजली, वाटर प्रूफिंग एवं फ्लोरिंग का कार्य प्रगति पर है, इसके चलते सभी जंक्शन बॉक्स में पानी प्रवेश कर कंड्यूट के सहारे भूतल पर गिरा, जो ऊपर देखने पर प्रतीत हो रहा था की छत से पानी टपक रहा है। जबकि यथार्थ में पानी कंड्यूट पाइप के सहारे भूतल पर निकल रहा था। 

वर्षा जल को संरक्षित करने के लिए रिचार्ज पिट का हो रहा निर्माण

चंपत राय ने बताया कि मंदिर एवं परकोटा परिसर में बरसात के पानी की निकासी का सुनियोजित तरीके से उत्तम प्रबंध किया गया है, यह कार्य भी प्रगति पर है। भविष्य में मंदिर एवं परकोटा परिसर में कहीं भी जलभराव की स्थिति नहीं होगी। श्रीराम जन्मभूमि परिसर को बरसात के पानी के लिए बाहर शून्य वाटर डिस्चार्ज के लिए प्रबंधन किया गया है। इसके लिये रिचार्ज पिट का भी निर्माण कराया जा रहा है । मन्दिर एवं परकोटा निर्माण कार्य तथा मन्दिर परिसर निर्माण / विकास कार्य भारत की दो अति प्रतिष्ठित कम्पनियों एलएण्डटी व टाटा के इंजीनियरों एवं पत्थरों से मन्दिर निर्माण के विशेषज्ञ सीबी सोमपुरा के बेटे आशीष सोमपुरा व अनुभवी शिल्पकारों की देखरेख मे हो रहा है। निर्माण कार्य की गुणवत्ता  में कोई कमी नही है। बताया गया कि उत्तर भारत में (लोहे का उपयोग किए बिना) केवल पत्थरों से मन्दिर निर्माण कार्य प्रथम बार हो रहा है। देश-विदेश में केवल स्वामी नारायण परम्परा के मंदिर पत्थरों से बने हैं।

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