अपडेट… जातियों के आंकड़े एकत्रित करने पर आपत्ति नहीं : आरएसएस
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– प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा, चुनावी लाभ के लिए इस्तेमाल न हो
– कहा, यह बहुत संवेदनशील मुद्दा, राष्ट्रीय एकता और अखंडता’ के लिए अहम
पलक्कड़, एजेंसी
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने सोमवार को कहा कि उसे विशेष समुदायों या जातियों के आंकड़े एकत्र करने पर कोई आपत्ति नहीं है। बशर्ते इस जानकारी का उपयोग उनके कल्याण के लिए हो, ना कि चुनावी लाभ के लिए राजनीतिक हथियार के रूप में इसका इस्तेमाल किया जाए।
आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि जाति और जाति-संबंध हिंदू समाज के लिए एक ‘बहुत संवेदनशील मुद्दा’ है और यह ‘हमारी राष्ट्रीय एकता और अखंडता’ के लिए भी अहम है। उन्होंने कहा, इससे ‘बहुत गंभीरता से’ निपटा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि किसी जाति या समुदाय की भलाई के लिए भी सरकार को आंकड़ों की जरूरत होती है। ऐसा पहले भी हो चुका है, लेकिन इसे सिर्फ समाज की भलाई के लिए किया जाना चाहिए। इसे चुनावों के लिए इस्तेमाल न करें।
आंबेकर का बयान विपक्षी दलों (कांग्रेस, सपा और ‘इंडिया’ गठबंधन के अन्य सहयोगी दलों) द्वारा प्रभावी नीति निर्माण के लिए जाति आधारित जनगणना कराने की मांग को लेकर अभियान चलाने के बीच आया है।
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उप-वर्गीकरण के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश पर एक सवाल के जवाब में आंबेकर ने कहा कि संबंधित समुदायों की सहमति के बिना कोई भी कदम नहीं उठाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, हम हमेशा देखते हैं कि संवैधानिक आरक्षण बहुत महत्वपूर्ण है और आरएसएस इसका हमेशा समर्थन करता है।
मणिपुर में हिंसा के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पहले ही इस बारे में सरकार से त्वरित कार्रवाई करने का आग्रह कर चुके हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि स्थिति से प्रभावी ढंग से निपटा जाएगा, जल्द ही इसका समाधान किया जाएगा और मणिपुर में शांति बहाल होगी।